हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए अभी और करना पड़ेगा इंतजार, हाईकोर्ट में अब इस दिन होगी सुनवाई

हरियाणा में पंचायत चुनाव के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। सोमवार को हरियाणा के पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रविधान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सुनवाई 29 मार्च तक स्थगित कर दी। हाईकोर्ट ने आरक्षण को चुनौती देने वाले पक्ष से जवाब मांग रखा है, जो अभी तक दायर नहीं किया गया है।
हाई कोर्ट ने याची पक्ष को कहा हुआ है कि पहले वह इस मामले में अपना जवाब दायर करे, तब मामले की आगे सुनवाई होगी। इस मामले में हरियाणा सरकार ने एक अर्जी दायर कर चुनाव के लिए हाई कोर्ट से इजाजत मांग रखी है। हरियाणा सरकार ने दायर अर्जी में कहा है कि पिछले साल 23 फरवरी को ही पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, इसलिए जल्द ही चुनाव कराए जाने चाहिए। पंचायती राज एक्ट के दूसरे संशोधन के कुछ प्रविधान को हाई कोर्ट में 13 याचिकाएं दायर कर चुनौती दी हुई है।
पहले कोरोना के कहर के चलते सरकार ने यह चुनाव नहीं करवाने का हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था। अब हालात बेहतर हो चुके हैं, बावजूद इसके अभी सरकार ने चुनाव को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं की है। याचिकाकर्ता ने राज्य के पंचायत विभाग द्वारा 15 अप्रैल को अधिसूचित हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2020 को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए रद किए जाने की हाई कोर्ट से मांग कर रखी है।
हाई कोर्ट को बताया जा चुका है कि इस संशोधन के तहत की गई नोटिफिकेशन के तहत पंचायती राज में आठ प्रतिशत सीटें बीसी-ए वर्ग के लिए आरक्षित की गई है और यह तय किया गया है कि न्यूनतम सीटें दो से कम नहीं होनी चाहिए। याचिकाकर्ता के अनुसार यह दोनों ही एक दूसरे के विपरीत हैं, क्योंकि हरियाणा में आठ प्रतिशत के अनुसार सिर्फ छह जिले हैं, जहां दो सीटें आरक्षण के लिए निकलती हैं। अन्यथा 18 जिलों में सिर्फ एक सीट आरक्षित की जानी है, जबकि सरकार ने 15 अप्रैल की नोटिफिकेशन के जरिए सभी जिलों में बीसी-ए वर्ग के लिए दो सीटें आरक्षित की हैं जो कानूनन गलत हैं।
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