क्या घाघरा की लहरों के तांडव से बच पाएगा जाखल-कासमपुर पुल

हरिभूमि न्यूज : फतेहाबाद (जाखल)
जिले से होकर गुजरने वाली घग्गर नदी Ghaggar Riverद के तटबंध कमजोर होने से जिले में तकरीबन 10 बार बाढ़ अपनी विनाशलीला दिखा चुकी है, जिससे कई गांवों के लोग प्रभावित हुए थे। करोड़ों रुपए की संपत्ति की क्षति एवं हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हुई थी। बाढ़ से दर्जनों गांव पानी में समा गए हैं। उस वक्त बड़ी तादाद में लोगों को तमाम रातें किसी ऊंची जगह पर खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी थी।
सन 1976 के बाद 8 बार आई तबाही के बावजूद प्रशासन की खामोशी हैरत ही उत्पन्न करती है। आने वाले कुछ दिनों पश्चात मानसून दस्तक दे देगा, लेकिन जाखल से कासमपुर गांव के बीच बने घग्घर पुल के नवनिर्माण से पुल को ऊंचा उठाने को लेकर महकमा इस बार भी संवेदनशील नहीं दिखा है। पुल का अस्तित्व खतरे में है। पुल जर्जर अवस्था में होने से तटवर्तीय क्षेत्र के लोग भयभीत है।
समीपवर्ती गांवों के लोग कई वर्षों से पुल का निर्माण कर ऊंचा उठाने की मांग कर रहे है, लेकिन महकमे की उपेक्षा का आलम ये है कि आला अधिकारी बाढ़ से बचाव प्रबंधों को लेकर मौका मुआयना कर वास्तविकता जानने की अपेक्षा ऐसी कमरों में बैठकर शिकायत मिलने की प्रतीक्षा कर रहे है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या घग्गर में जल की क्रूर लहरों से इस बार पुल टूटने से बच पाएगा। करीबन चार दशक पूर्व निर्मित इस पुल के जर्जर होने से हर समय हादसे का भय बना है। स्थिति ये है कि वाहनों के गुजरते समय पुल थर्राता है। आसपास के गांवों से किसान व लोग अनेक बार शासन प्रशासन से इस पर ध्यान देते हुए पुल को ऊंचा उठाने की मांग कर चुके है लेकिन सिवाय आश्वासन के धरातल पर कुछ नहीं हुआ है।
किसान बलकार सिंह, जरनैल सिंह, नसीब, सागर, मक्खन, गमदूर, लाभ सिंह, चेत, जगसीर सिंह, नवजोत सिंह, जग्गी, सतनाम आदि ने बताया कि जाखल से कासमपुर के बीच घग्घर नदी पर करीब 40 वर्ष पूर्व पुल का निर्माण किया गया था, जिसकी गहराई करीब 25 फीट व चौड़ाई 14 फीट के करीब है। पुल के ऊपर से हर रोज सैंकड़ों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं, जिससे आगामी दिनों में मानसून से घग्घर में पानी के तेज बहाव से कभी हादसा घट सकता है। इससे लोगों में रोष व्याप्त है।
तीन वर्ष पहले बराला ने दिया था आश्वासन
पुल के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग लंबे समय से पुल को ऊंचा उठाने की मांग कर रहे है। विदित है कि किसानों की मांग पर बीते वर्ष भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने भी घग्घर पुल का निरीक्षण कर शीघ्र ही पुल को ऊंचा व चौड़ा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आजतक इसकी सुध नहीं ली गई है। किसानों के अनुसार ये पुल करीब 40 वर्ष पुराना है, जिसकी चौड़ाई कम है। साथ ही पुल नीचा होने के कारण पानी के बहाव में रुकावट भी बन रहा है। जिम्मेदारों की लापरवाही से यदि ये पुल टूट गया तो जाखल व टोहाना के बीच पड़ते दर्जनों गांवों का संपर्क भी टूट जाएगा।
टोहाना के नेताओं की सरकार में रही है अहम हिस्सेदारी
लोगों का कहना है कि टोहाना विस क्षेत्र से जनप्रतिनिधियों की सरकार में अहम हिस्सेदारी रहने के बावजूद भी उक्त घग्गर पुल का निर्माण न होना जनप्रतिनिधियों की बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। विडंबना ये है कि कांग्रेस राज में टोहाना से विधायक परमवीर सिंह कृषि मंत्री रह चुके हैं, इसके बावजूद वे किसानों की उक्त गंभीर समस्या का निराकरण करवाने में असमर्थ रहे। इसके बाद भाजपा शासन में विधायक रहेंसुभाष बराला रा'य के अध्यक्ष पद पर रहे। मौजूदा स्थिति में बीजेपी जेजेपी गठबंधन सरकार में भी टोहाना की अहम भूमिका है। जेजेपी पार्टी के वर्तमान विधायक देवेन्द्र सिंह बबली है वहीं पूर्व विधायक सुभाष बराला सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चैयरमैन है। जेजेपी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सरदार निशान सिंह भी टोहाना गृह क्षेत्र से है। इसके बावजूद कोई नेता इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया।
क्या कहते है विभागों के अधिकारी
सिंचाई विभाग टोहाना के एसडीओ संदीप सेलवाल का कहना है कि बीते वर्ष हमने जाखल-कासमपुर पुल का निरीक्षण किया था। उस दौरान पुल जर्जर अवस्था में पाया गया था। ऐसे में पुल का निर्माण कर इसे ऊंचा उठाने का प्रस्ताव हमने बीते वर्ष ही सरकार को भेज दिया था। इसके जवाबी पत्र में ये हवाला दिया गया था कि उक्त घग्गर पुल का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा। ऐसे में पुल निर्माण का कार्य लोक निर्माण विभाग का है। लोक निर्माण विभाग के उप मंडल अधिकारी रामफल सिंह का कहना है कि पुल के जर्जर अवस्था में होने की उनके पास अभी कोई लिखित में शिकायत नहीं आई है। यदि कोई लिखित शिकायत आती है तो उस पर कार्यवाही की जाएगी।
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