4 हजार फैक्ट्रियों में से 10 फीसदी ही चलाने के इच्छुक, 50% से ज्यादा श्रमिक पलायन कर गए

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़
कोरोना की दूसरी लहर का प्रतिकूल असर औद्योगिक क्षेत्र पर दिखने लगा है। दिल्ली और राजस्थान के बाद हरियाणा में लॉकडाउन होने का असर यह रहा कि सोमवार को बहादुरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र के अधिकांश उद्योगों पर ताला पड़ा रहा। इन हालातों में बड़ी कंपनियां भी उत्पादन लगातार कम करने लगी हैं। छोटी कंपनियों में भी अधिकतर प्रवासी कामगार अपने गृह राज्यों की ओर कूच कर चुके हैं। करीब 4 हजार फैक्ट्रियों में से 10 फीसद फैक्ट्री संचालक भी काम करने के इच्छुक नहीं हैं।
बता दें कि बहादुरगढ़ में करीब 4 हजार फैक्ट्रियां पंजीकृत हैं। लेकिन अनाधिकृत रूप से यह संख्या 6 हजार तक बताई जा रही है। इनमें 20 फीसद से अधिक फुटवीयर की फैक्ट्रियां हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से उद्योग जगत अछूता नहीं है। कच्चे माल की आपूर्ति, परिवहन, तैयार माल का निर्यात, कामगाराें की किल्लत के बीच उत्पादन जारी रखना संभव नहीं है। उद्यमियों के अनुसार गत वर्ष के अनुभव को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन से आशंकित 50 फीसद लेबर पहले ही पलायन कर चुकी है। पहले सरकार की तरफ से कहा गया कि लॉकडाउन लगाने का कोई इरादा नहीं है। फिर बंगाल चुनाव के परिणाम आते ही अचानक लॉकडाउन की घोषणा हो गई। बेशक सरकार और प्रशासन ने उद्योग जगत को कोरोना लॉकडाउन से मुक्त रखा है, लेकिन इसके लिए सरल पोर्टल से गत वर्ष की भांति अनुमति लेनी आवश्यक है। लॉकडाउन से पहले भी कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के बीच फैक्ट्रियों के केवल दरवाजे खुले थे, उत्पादन करीब 70 फीसद घट गया है।
कामगारों की संख्या में लगातार कमी आ रही
कोरोना संक्रमण के कारण उद्योगों में काम करने वाले कामगारों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। अन्य राज्यों से आने वाला कच्चा माल बहुत सीमित मात्रा में ही मिल रहा है। अधिकांश फैक्ट्रियां बंद हैं। कुछ उद्योग बेहद कम उत्पादन के सहारे चल रहे हैं। रविवार देर रात अधिसूचना जारी होने के कारण सोमवार को अधिकांश फैक्ट्रियां बंद रही। हालात पर उद्यमी मंथन कर रहे हैं। - नरेंद्र छिकारा, उप प्रधान, बहादुरगढ़ चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज
एक साल में लोगों को बहुत आर्थिक नुकसान हुआ
देश में कोरोना की दूसरी लहर आई है। एक साल में लोगों को बहुत आर्थिक नुकसान हुआ है। उद्यमियों को भी महामारी के कारण काफी नुकसान हुआ है। अब फिर उद्योगों के सामने श्रमिकों की घर वापसी का संकट खड़ा हो गया है। यह सबके लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। कोई भी फैक्ट्री नहीं चलाना चाहता। यह भी कड़वा सच है कि उत्पादन रोकने का नुकसान कंपनियों को सबसे अधिक होता है। - सुभाष जग्गा, महासचिव, बहादुरगढ़ चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज
अधिकांश फैक्ट्रियां अभी बंद
उद्योग जगत के सामने यह बहुत बड़ा संकट है। हालांकि, औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमियों और कामगारों को सावधानी के साथ आवश्यक उत्पादन जारी रखने के बारे में समझाया जा रहा है। अधिकांश फैक्ट्रियां अभी बंद हैं। लेकिन उद्यमी लगातार विमर्श कर रहे हैं। फिलहाल इच्छुक उद्यमी सरल पोर्टल पर अप्लाई कर अनुमति प्राप्त कर सकता है।
- संजीत कौर कटारिया, संयुक्त निदेशक, जिला उद्योग केंद्र झज्जर
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