परवरिश ना कर पाने का डर : महिला ने जुड़वा बेटियों को दिया जन्म, एक को तीन दिन बाद अस्पताल में छोड़ गई, एक बेटी पहले थी

हरिभूमि न्यूज. यमुनानगर
केंद्र और प्रदेश सरकार जहां बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के लिए लोगों को जागरूक करने में लगी है, वहीं, एक दंपती परवरिश ना होने के भय से अपनी तीन दिन पहले जुड़वां हुई दो बच्चियों में से एक को जगाधरी के सरकारी अस्पताल में छोड़ गए। अस्पताल के स्टाफ ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर चाइल्ड लाइन संस्था और पुलिस को सूचना दी। चाइल्ड लाइन संस्था ने बच्ची को अस्पताल के निक्कू वार्ड में भर्ती करवाया। मौके पर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगालने पर बच्ची के माता-पिता के बारे में पता चला। दंपती अंबाला की रहने वाला है।
जानकारी के मुताबिक बीती देर रात जगाधरी सरकारी अस्पताल के स्टाफ को एक बैड पर किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर स्टाफ मौके पर पहुंचा तो वहां पर अच्छी तरह कपड़ों में लिपटी हुई तीन दिन की नवजात बच्ची मिली। सूचना मिलते ही अस्पताल के चिक्तिसक, पुलिस व चाइल्ड लाइन संस्था की निदेशिका डॉ. अंजु बाजपेयी मौके पर पहुंची। उन्होंने बच्ची को तुरंत अस्पताल के निक्कू वार्ड में भरती करवाया गया। चिकित्सकों के मुताबिक बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है।
बच्ची के माता-पिता की कर रहे काउंसलिंग
चाइल्ड लाइन की निदेशिका डॉ. अंजु बाजपेयी ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे खंगालने से पता चला है कि दंपती अंबाला का रहने वाला है। बच्ची का जन्म तीन दिन पहले हुआ है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तीन दिन पहले महिला को जुड़वां दो बच्ची हुई। जिनमें से एक को वह लेकर अपने साथ चले गए और एक को अस्पताल में छोड़ गए। बताया गया है कि महिला को पहले भी एक बच्ची है। जांच में यह भी पता चला है कि महिला के पहले पति की मौत हो चुकी है और उससे उसे एक बच्ची है। पति की मौत के बाद महिला की दोबारा उसी के देवर के साथ शादी कर दी थी जिससे उसे जुड़वां बच्ची हुई। तीन-तीन बच्चियों की परवरिश नहीं होने के डर से महिला एक बच्ची को अस्पताल में छोड़ गई। दंपती की काउंसलिंग की जा रही है ताकि बच्ची की परवरिश हो सके।
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