पंच बनने के लिए महिला का लंबा संघर्ष : हाईकोर्ट के आदेश पर सागरपुर की पंच बनी सरिता

- सिहमा के बीडीपीओ ने दिलाई सरिता को पंच की शपथ
- डबल एमए व बीएड है नवनियुक्त पंच सरिता देवी
Narnaul : पंच बनने के लिए एक महिला ने लंबा संघर्ष कर ग्राम पंचायत में अपनी भागेदारी सुनिश्चित की। पंच ने नामांकन से लेकर परिणाम घोषित करवाने तक खंड से लेकर चंडीगढ़ तक लंबी लड़ाई लड़ी है। हाईकोर्ट के आदेश पर पंच बनने वाली अटेली विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत गांव सागरपुर की सरिता देवी को सिहमा के बीडीपीओ नवदीप ने खंड कार्यालय परिसर में गोपनीयता की शपथ दिलाई। ग्राम सागरपुर के सरपंच समेत सरिता को छोड़ सभी पंचों को 2022 में शपथ दिलाई जा चुकी है। हाईकोर्ट के निर्णय पर बनने वाली पंच की जिले में खासी चर्चा बनी हुई है।
बता दें कि जिले में ग्राम पंचायतों के प्रथम चरण का मतदान दो नवंबर 2022 को हुआ था। शपथ समारोह के बाद डबल एमए, बीएड, उच्च शिक्षित पंच सरिता देवी ने बताया कि उसका नामांकन रद्द करने के बाद उसने तत्कालीन उपायुक्त व जिला निर्वाचन अधिकारी नारनौल से न्याय की गुहार लगाई गई थी। गुहार पर कार्रवाई करते हुए तत्कालीन जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रार्थी के नामांकन को रद्द नहीं करने के आदेश दिए थे, लेकिन तत्कालीन खंड सिहमा के आरओ एवं ग्राम पंचायत सागरपुर के आरओ ने जिला निर्वाचन अधिकारी के आदेशों को नजरांदाज करते हुए पंच पद पर निर्विरोध रूप से चुनने के बावजूद भी उसका नामांकन स्वीकार नहीं किया था। इतना सब घटित होने के बाद पंच ने बताया कि इस विषय की शिकायत मुख्य निर्वाचन अधिकारी हरियाणा चंडीगढ़ से की गई थी, लेकिन समय पर न्याय ना मिलने की वजह से उसे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद मुख्य राज्य चुनाव अधिकारी हरियाणा ने उपचुनाव की घोषण कर दी। उपचुनाव की घोषणा के बाद नवनिर्वाचित पंच ने अपना नामांकन रिटर्निंग अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया। संबंधित रिर्टनिंग अधिकारी ने नामांकन स्वीकृत करते हुए प्रार्थी को चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया था, लेकिन चुनाव चिह्न आवंटित करने के बाद महिला प्रत्याशी ने पुन: हाईकोर्ट में चार जुलाई को चुनाव को रद्द करने के लिए अपील दाखिल की। दाखिल अपील पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ में शामिल न्यायाधीश राजमोहन सिंह व हरजीत सिंह की खंड पीठ ने सात जुलाई 2023 चुनाव के परिणाम पर रोक लगाते हुए उसे राहत दी। हाईकोर्ट ने 10 अगस्त को उसकी रिट पिटीशन का निपटारा करते हुए 9 जुलाई को हुए उपचुनाव में उसे विजयी घोषित किया, जिसका शपथ समारोह अब हुआ है।
क्या कहती है पंच सरिता देवी
नवनिर्वाचित पंच सरिता ने कहा कि उसका नामांकन रद्द करने में स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा के जिला स्तरीय अधिकारियों का विशेष रूप से हाथ था। जिले के एक क्षेत्रीय विधायक का भी हाथ रहा है, क्योंकि उसने हरियाणा लोकायुक्त को शिकायत फर्जी डिग्री धारक शिक्षक के विरूद्ध की हुई है, जो आज भी लोकायुक्त हरियाणा के पास विचाराधीन है। पंच ने स्पष्ट किया कि स्कूल शिक्षा विभाग हरियाणा में हजारों की संख्या में गंभीर कदाचार आचरण के आदि शिक्षक, जिन्होंने अपने मूल संवर्ग पद पर कार्यरत रहते हुए अध्ययन करने की विभागीय अनुमति लिए बिना ही असंवैधानिक तौर तरीकों के सहारे फर्जी शैक्षणिक योग्यता हासिल की थी और उसी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंककर विभागीय पदोन्नति का लाभ लिया था, जो आज भी पीजीटी, प्राचार्य, बीईओ, डीईओ आदि संवर्ग के शिक्षक कार्यरत है। शिक्षा विभाग के प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से इस तरह के गंभीर कदाचार आचरण वाले शिक्षक वर्ग के खिलाफ किसी भी तरह की वैधानिक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं करने के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं आ पाया तथा शिक्षक पद के योग्य अभ्यर्थी हजारों की संख्या में बेरोजगारी की लाइन में खड़े है। इन अध्यापकों के कारण सरकार को लाखों से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।
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