हरियाणा की कवयित्री ने ठेके पर लिखी कविता, देशभर में हो रही वायरल

हरियाणा के भिवानी जिले की रहने वाली लेखिका सुनीता करोथवाल द्वारा ठेके के ऊपर हरियाणवी में लिखी गई एक कविता देशभर में वायरल हो रही है। सुनीता करोथवाल ने यह कविता कुछ ही दिन पहले लिखी है जो पूरे देश में लोगों द्वारा पसंद की जा रही है। बता दें कि सुनीता करोथवाल गृहिणी होने के साथ-साथ एक सफल लेखिका और कुशल चित्रकार भी हैं। उनके द्वारा लिखी गई कई कविताएं और कहानियां कई जगह प्रकाशित भी हो चुकी हैं। सुनीता कुछ गुम हुए बच्चे टाइटल से एक किताब भी लिख चुकी हैं।
सुनीता करोथवाल द्वारा लिखी गई कविता इस प्रकार है जो जमकर वायरल हाे गई
दो ए ठेके देक्खे थे बस, बाबा रै जिब तेरा राज था,
एक ठेका था दारू आळा, एक म्हं होया करदा नाज था।
बासण, पैहंडा, काप्पण, गिड़गम, पैहंडी घर की टूट लई
ईंडी के वैं मणिये खूगे, पणिहारी पाच्छै छूट गई।
घर-घर नळके लाग लिए, ईब कैंपर आवै पाणी का,
इसा जुलम का आया जमाना, ठेका उठग्या पाणी का।
छोरी ब्याहणी, भात-चाक था, बान्नै बैठ्या करदी रै,
घणी कुणबे की चाहना थी, मिल लाड्डू बोच्या करदी रै,
देहळ कुवारी ना राख्या करदे, कहणा था यो दादी का,
दूर-दूर तै राम-रमी सै, ईब ठेका उठग्या शादी का।
गेहूं काटणे, तूड़ी ढोणी, फेर पै जोट्टे लाग्गै थे
भर-भर तासलेे ठोया करदे, मुट्ठी नाज पै बालक भाज्जै थे।
रात नै पिंडी भड़कया करदी, वो दर्द रह्या ना टांगड़ियां का
बाळकां के मरमुंडे खुसगे, ईब ठेका उठग्या लामणियां का।
नीम धरी सै, तोत्ता बंधैगा, बुआ नै बुलाया करदे रै
ईंट जंचाणी, खोरे फोड़णे, कुंडे ढोया करदे रै।
एक-एक टोफी म्हं सौ-सौ ईंट, बखत नहीं था तेज्जी का,
मिल-जुलकै नै घर बणजै थे, ईब ठेका उठग्या चेज्जी का।
सवामणी ठेके पै होगी, सत्संग होगे ठेके पै,
घर म्हं बूढ़े-ठेरे मरज्यां, तो काज होवै फेर ठेके पै
पढ़णा-लिखणा तो ठेक्के पै सै, बाळक बी होगे ठेके पै
घर बी उठग्या, खेत बी उठगे, सब कुछ उठग्या ठेके पै
दारू पीवैं उनतै पूछो, सब कुछ लुटज्या ठेके पै।
मरणा-जीणा ठेके पै, या दुनिया चाल्लै ठेके पै
बेरा तो जब लाग्गैगा, जब सांस लेओगे ठेके पै।
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