रत्नों के पारखी जयपुर के महेंद्र सिंह द्वारा तैयार गहनों की मुरीद हुईं महिलाएं, तरुण शर्मा की अगरबत्ती भी विखेर रही महक

रत्नों के पारखी जयपुर के महेंद्र सिंह द्वारा तैयार गहनों की मुरीद हुईं महिलाएं, तरुण शर्मा की अगरबत्ती भी विखेर रही महक
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आभूषण पहनना जयपुर की खास और समृद्ध परंपरा का प्रतीक है। छठी कक्षा से रत्नों के काम में जुटे जयपुर के महेंद्र सिंह स्टोन, गोटा चांदी और पंच धातु की ज्वेलरी बनाने में अकेले ही लगे रहते हैं। उनके द्वारा बनाई गई 10 मिलीमीटर आकार की तिजौरी देखकर हर कोई हैरान हो जाता है

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

बहादुरगढ़ में चल रही आर्ट एंड क्रॉफ्ट प्रदर्शनी में एक तरफ महेंद्र सिंह के प्रसिद्ध जयपुरी आभूषण की चमक तो दूसरी ओर शुद्ध देशी घी से बनी धूप-अगरबत्ती की खुशबू हर आगुंतक को अपनी ओर खींचने का दम रखती है। आभूषणों के लिए प्रसिद्ध जयपुर के शिल्पकार महेंद्र सिंह ना केवल रत्नाें के पारखी हैं, बल्कि आकर्षक आभूषण बनाने में माहिर हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी से चली आ रही परंपराओं को नहीं छोड़ने के कारण जयपुरी ज्वैलरी का शाही अंदाज कायम है। वहीं दूसरी ओर चंडीगढ़ के तरुण शर्मा की शुद्ध गाय के घी से बनी धूप व अगरबत्ती न केवल वातावरण को महकाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए भी लाभदायक है।

आप जानते हैं कि राजपूताना शासक ज्वैलरी के शौकीन थे। आभूषण पहनना जयपुर की खास और समृद्ध परंपरा का प्रतीक है। छठी कक्षा से रत्नों के काम में जुटे जयपुर के महेंद्र सिंह स्टोन, गोटा चांदी और पंच धातु की ज्वेलरी बनाने में अकेले ही लगे रहते हैं। उनके द्वारा बनाई गई 10 मिलीमीटर आकार की तिजौरी देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। झुमकी में राधा रानी का स्वरूप हो या फिर अन्य आकृतियां बरबस ही महिलाओं को आकर्षित करती हैं। मथुरा के कृष्ण मंदिर की आकृति बना चुके महेंद्र अब अयोध्या के राम मंदिर की आकृति बना रहे हैं। हर तरह के रत्न को देखते ही पहचानने वाले महेंद्र के अनुसार जयपुर की कुंदनकारी पूरी दुनिया में मशहूर है। आभूषणों पर मीनाकारी कला में स्वर्ण पर विशेष आकृतियां उकेर कर उन्हें खूबसूरत बनाया जाता है। मीना कुंदनकारी में सदियों से जयपुर की धाक रही है। महेंद्र के अनुसार स्वर्ण और हीरे की ज्वैलरी के विकल्प भी गढ़े जाते हैं, जिससे साधारण लोग ज्वैलरी पहनने का शौक पूरा कर सकें।

चंडीगढ़ के कांति मोहन गोस्वामी द्वारा 2012 में गाय के शुद्ध देशी से धूप और अगरबत्ती बनाकर बेचने का क्रम शुरू किया गया। उनके रिश्तेदार तरुण शर्मा के अनुसार गऊ माता के शुद्ध घी से बनी इस सुगंधित व प्राकृतिक धूपबत्ती का इस्तेमाल करने से खुशबू के साथ ही ऑक्सीजन उत्पन्न होती है। इससे न केवल पर्यावरण शुद्ध रहेगा, बल्कि वातावरण भी महकता हे। तरुण ने बताया कि फिलहाल बीकेएम द्वारा करीब सौ भिन्न तरह की खुशबू में धूपबत्ती तैयार की जाती है। गाय के घी से निर्मित धूप के अंदर कई प्रकार की शुद्ध व सुगंधित जड़ी बूटियों का प्रयोग किया गया है। साथ ही हाथ से ही यह प्राकृतिक धूपबत्ती तैयार हो रही है। ये सभी उत्पाद प्राकृतिक हैं और आमजन को भा रहे हैं।


बहादुरगढ़ :अगरबत्ती जलाकर दिखाते चंडीगढ़ के तरुण शर्मा।

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