Saffron Cultivation : हरियाणा के किसान का कमाल, बांगर की जमीन पर लहरा दी अमेरिकन केसर की खेती

हरिभूमि न्यूज. उचाना ( जींद )
अब किसान पारंपरिक खेती के तरीकों से अलग हटकर काम कर रहे हैं। किसान ना सिर्फ नई तकनीक अपना रहे हैं। बल्कि उन फसलों की खेती पर भी काम कर रहे हैं जिनके बारे में पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। पिछले कुछ सालों से किसान अब उन फसलों की खेती भी ट्राई कर रहे हैं, जो वहां की जलवायु के हिसाब से पहले संभव नहीं थी। जींद के उचाना ब्लॉक के गांव खरक भूरा के किसान सुखदेव श्योकंद मेहनत से अमेरिकन केसर की खेती कर रहे हैं। जिससे वो मोटा मुनाफा कमा सकेंगे। परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती में सुखदेव श्योकंद के चाचा रामनिवास श्योकंद सहयोग कर रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही गांव खरक भूरा के किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक गेहूं व सब्जी की खेती शुरू की थी और इस खेती से वे अच्छी कमाई कर रहे हैं। इससे उत्साहित होकर किसानों ने उन फसलों की खेती भी शुरू कर दी है, जो किसी खास इलाके में ही की जाती थी। पहले कहा जाता था कि केसर सिर्फ कश्मीर की वादियों में ही पैदा हो सकता है और वहां का केसर मशहूर भी था। कश्मीर के केसर को जीआई टैग मिला हुआ है, लेकिन गांव खरक भूरा के किसान सुखदेव श्योकंद ने केसर की खेती कर मिसाल कायम की है। किसान रामनिवास श्योकंद ने बताया कि उचाना के गांव खरकभूरा में अब किसानों ने सूखे इलाके में भी अमेरिकन केसर की खेती शुरू कर दी है।
किसानों की ओर से सूखी जमीन और बिल्कुल अलग मौसम वाले इलाके में की जा रही केसर की खेती हैरान कर देने वाला मामला है। सुखदेव श्योकंद ने बताया कि हमें संदेह था कि इस इलाके में केसर की खेती हो पाएगी या नहीं, लेकिन हमारी कोशिश सफल रही है। दरअसल यह कोई ठंडा क्षेत्र नहीं है, अगर किसान खरक भूरा जैसे इलाके में भी केसर की खेती कर लेते हैं तो परंपरागत खेती को छोड़कर यहां के किसानों की आय में काफी वृद्धि हो सकती है। अभी केसर की मांग ज्यादा है और इसके भाव भी बाजार में अच्छे है। ऐसे में किसान सूखे प्रदेश में कम ठंड वाले इलाके में भी केसर उगा कर अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
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