World Diabetes Day : बच्चों-किशोरों में तेजी से फैल रहा शुगर, कंट्रोल करने के लिए अपनाएं ये उपाय

रोहतक। डायबिटीज यानी मधुमेह आजकल एक बेहद आम बीमारी बन गई है। हर साल 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे (World Diabetes Day) यानी विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल डायबिटीज के कारण करीब 40 लाख मरीजों की मौत होती है।
इसी पर कॉएनोस अस्पताल के सीनियर डॉ. राजेश राजपूत ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, करीब 422 मिलियन लोग 2014 से डायबिटीज के मरीज हैं। शरीर में शुगर की मात्रा को सही रखने में इंसुलिन बहुत बड़ा रोल अदा करता है। आज के समय में इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़़ाना बेहद आवश्यक है। इस बीमारी के बारे में जानकारी देने के लिए हर साल वर्ल्ड डायबिटीज डे को मनाया जाता है। इस बीमारी को रोकने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव, अच्छी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी होना बहुत जरूरी है।
53 प्रतिशत को इलाज नहीं : डॉ. राजपूत ने बताया देश में आधे से ज्यादा डायबिटीज के मरीज ऐसे हैं, जिन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है। डायबिटीज से जूझ रहे साढ़े 7 करोड़ लोगों में से 3.94 करोड़ यानी 53 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों का इलाज नहीं हो रहा। 20 साल से कम उम्र के 2.29 लाख से ज्यादा लोग टाइप-1 डायबिटीज से जूझ रहे हैं। ये संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है, इसके बाद अमेरिका और ब्राजील का नंबर आता है। अमेरिका में 1.57 लाख और ब्राजील में 92,300 लोगों को टाइप-1 डायबिटीज है।
हरी सब्जियां खाने में शामिल करें : डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए हरी सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स वाले फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। साथ ही 45 वर्ष से अधिक उम्र के डायबिटीज पेशेंट्स को रेग्युलर अपना फुल हेल्थ चेकअप कराना चाहिए, ताकि बीमारी होने का समय पर पता लगाया जा सके।
पिछले साल 24 हजार नए मरीज सामने आए : डॉ. राजेश राजपूत ने बताया कि आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में टाइप-1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चों और किशोरों की संख्या तेजी से बढ़़ रही है। बीते साल भारत में टाइप 1 डायबिटीज के 24 हजार से ज्यादा नए मरीज सामने आए हैं। यानी, हर दिन 65 से ज्यादा बच्चे और किशोर टाइप 1 डायबिटीज का शिकार बन गए। वहीं ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 7.4 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं। दुनिया में भारत दूसरे नंबर पर है, जहां सबसे ज्यादा डायबिटीज पीड़ित हैं। 2045 तक डायबिटीज पीड़ितों की संख्या साढ़े 12 करोड़ पहुंचने का अनुमान है।
टाइप-1 डायबिटीज का ठोस इलाज नहीं
डॉ. राजेश राजपूत ने आगे बताया कि डायबिटीज दो तरह की होती है। टाइप-1 और टाइप-2। टाइप-1 डायबिटीज कम उम्र में ही हो जाती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को जीने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. इसका कोई ठोस इलाज भी नहीं है। वहीं, टाइप-2 से जूझ रहे लोगों का दवाओं और थैरेपी के जरिए इलाज तो हो सकता है, लेकिन इन्हें भी इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। डायबिटीज के मरीज का ग्लूकोज का स्तर बढ़़ता है तो यह रोगी के लिए खतरनाक हो सकता है। खून की जांच भी डायबिटीज रोगियों के लिए जरूरी है। इससे पता चलता है कि किडनी सही काम कर रही है या नहीं। इस दौरान कोलेस्ट्रॉल लेवल को नजरअंदाज करना डायबिटीज मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है।
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