पेयजल संकट : यमुना का जलस्तर घटा, बिगड़ सकता है नहरों का गणित

पेयजल संकट :  यमुना का जलस्तर घटा, बिगड़ सकता है नहरों का गणित
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सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जिले की नहरों के लिए साढ़े 22 क्यूसेक पानी (मोहला हैड से)छोड़े जाने की मांग भेजी थी। बताते है कि फिलहाल यमुना का जलस्तर तीन हजार क्यूसेक पानी (मूनक में)बह रहा है,जबकि जिले की नहरों में पर्याप्त नहरी पानी के लिए यमुना में कम से कम साढे चार हजार क्यूसेक पानी होना निहायत जरूरी है।

हरिभूमि न्यूज.भिवानी

पहले बर्फबारी व अब बारिश न होने की वजह से यमुना का जलस्तर घट गया है। अब महज तीन हजार क्यूसेक पानी बह रहा है। यमुना में पानी घटने का नजला सुंदर ग्रुप पर पड़ने वाला है। चूंकि सुंदर ग्रुप की नहरों के लिए सिंचाई विभाग ने साढे 22 सौ क्यूसेक पानी छोड़े जाने की मांग भेजी है,लेकिन यमुना से पानी कम मिलने की वजह से इस बार भी आधा पानी मिलने की आशंका बन गई है। अगर यमुना के जलस्तर में सुधार नहीं हुआ तो इस सप्ताह सुंदर ग्रुप की नहरों का गणित पूरी तरह से गडबड़ाना लाजिमी है। वहीं पानी कम मिलने के चलते नहरों में करीब आठ से दस घंटे देरी से पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जिले की नहरों के लिए साढ़े 22 क्यूसेक पानी (मोहला हैड से)छोड़े जाने की मांग भेजी थी। बताते है कि फिलहाल यमुना का जलस्तर तीन हजार क्यूसेक पानी (मूनक में)बह रहा है,जबकि जिले की नहरों में पर्याप्त नहरी पानी के लिए यमुना में कम से कम साढे चार हजार क्यूसेक पानी होना निहायत जरूरी है। अगर इससे कम पानी मिलता है तो उसका असर सीधा सुंदर ग्रुप की नहरों पर गिरेगा। बताते है कि सिंचाई विभाग ने मोहला हैड से सुंदर ग्रुप की नहरों में साढे 22 सौ क्यूसेक पानी छोड़े जाने की मांग की है। जिसके लिए यमुना में साढे चार हजार क्यूसेक पानी होना निहायत जरूरी है। जितना पानी मूनक से छोड़ा गया है। उससे मोहला हैड तक आधा(12 सौ.13 सौ क्यूसेक)पानी पहुंचेगा। कम पानी मिला तो जिले तक नहरों में करीब आठ से दस घंटे देरी से पानी पहुंचना लाजिमी है। फिलहाल सिंचाई विभाग के अधिकारी यमुना के पानी को लेकर लगातार अपडेट ले रहे है।

पानी मिला तो देरी से पहुंचेगा नहरों में

अगर यमुना से सुंदर ग्रुप को कम पानी मिलता है तो उसका बहाव भी कम होगा। जिसके चलते पानी देरी से पहुंचना लाजिमी है। अगर नहरों में पूरा पानी मिल जाता है तो करीब 24 से 26 घंटों में जिले की सीमा तक आराम से पानी पहुंच जाता है,लेकिन अगर पानी कम मिलता है तो आठ से दस घंटे देरी से पानी पहुंचना लाजिमी है। सूूत्र बताते है कि सिंचाई विभाग खेतों की बजाए पहले जलघरों को प्राथमिकता के आधार पर भरवाएंगे। अगर उनको खेतों के मोगे या जिस माइनर पर कोई जलघर नहीं है तो उस माइनर को बंद भी किया जा सकता है,लेकिन जलघरों को प्राथमिकता के आधार पर भरवाया जाएगा।

अनेक जलघरों में नहीं पीने का पानी

बीते माह नहर में पानी कम मिला। हालांकि उस वक्त भी जिला प्रशासन की तरफ से प्राथमिकता के आधार पर जलघरों तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया गया था,लेकिन कई इलाकों में जलघर खाली रह गए थे। जिसके चलते उन गांव व कस्बों में आज भी पीने के पानी की समस्या बनी हुई है। यही स्थिति भिवानी के जलघरों की है। शहर स्थित पुराने जलघर में पानी की कमी के चलते एक दिन छोड़ कर सप्लाई दी जा रही है।

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