किसान आंदोलन : श्रमिकों के बच्चों को पढ़ा रहे युवा आंदोलनकारी

किसान आंदोलन : श्रमिकों के बच्चों को पढ़ा रहे युवा आंदोलनकारी
X
अपने हक की आवाज उठाने के साथ-साथ किसान कुछ अन्य गतिविधियां कर समाज को सकारात्मक संदेश दे रहे हैं। टीकरी बार्डर और एमआईई में मजदूर तबके के परिवार रहते हैं। काफी ऐसे परिवार भी हैं, जिनके बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा किसान सोशल आर्मी के सदस्यों ने अपने कंधों पर लिया है।

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़

टीकरी बार्डर पर अपने हक लिए आंदोलन कर रहे किसान आसपास रह रहे श्रमिक परिवारों के लिए भी मददगार साबित हो रहे हैं। श्रमिक परिवारों को आंदोलन में भरपेट खाना तो मिल ही रहा है, अब उनके बच्चों को भी युवा आंदोलनकारी पढ़ा रहे हैं। किसान सोशल आर्मी द्वारा बार्डर पर अस्थाई स्कूल बना दिया गया है, जिसमें बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

दरअसल, गत 27 नवंबर से किसान टीकरी बार्डर पर डटे हुए हैं। अपने हक की आवाज उठाने के साथ-साथ किसान कुछ अन्य गतिविधियां कर समाज को सकारात्मक संदेश दे रहे हैं। टीकरी बार्डर और एमआईई में मजदूर तबके के परिवार रहते हैं। काफी ऐसे परिवार भी हैं, जिनके बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा किसान सोशल आर्मी के सदस्यों ने अपने कंधों पर लिया है। बच्चों को कॉपी, किताबें, पेंसिल आदि स्टेशनरी दी गई है। पहले बच्चों को इधर-उधर बैठकर पढ़ाया जाता था लेकिन अब इनके लिए बार्डर पर ही एक टैंट में अस्थाई स्कूल बना दिया है।

किसान सोशल आर्मी के फाउंडर अनूप सिंह चनौट ने बताया कि वे पिछले करीब तीन महीने से यहां ठहरे हैं। यहां आसपास श्रमिकों के कई ऐसे परिवार हैं, जिनके बच्चे पढ़ाई से दूर हैं। उन्हें लगा कि इन बच्चों को शिक्षा की धारा से जोड़ने की जरूरत है। पहले इन बच्चों के अभिभावकों से इस संबंध में बातचीत की। बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन पारिवारिक हालातों के कारण शिक्षा से दूर हैं। इसलिए वे जब तक यहां हैं, इन बच्चों को पढ़ाएंगे। इसलिए एक अस्थाई स्कूल बना दिया गया है। पढ़ाई बेहद जरूरी है। बच्चे पढ़ेंगे तो आगे कुछ सीख सकेंगे। कम से कम आगे चलकर अपने हक की आवाज तो उठा सकेंगे।

Tags

Next Story