शहर की तर्ज पर ग्रामीण एरिया में प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने की तैयारी में जुटा जिला परिषद

सतीश सैनी : नारनौल
शहर की तर्ज पर ग्रामीण एरिया में भी संपत्ति मालिकों की जेब पर प्रॉपर्टी टैक्स की मार पड़ने वाली है। यह प्रॉपर्टी टैक्स जिला परिषद ठीक वैसे ही वसूलेगा जैसे शहर में नगर निकाय की संस्था नगर परिषद/नगर पालिका ले रही है। विकास एवं पंचायती विभाग ने संभावित करों की सूची जारी की है। इसमें विभिन्न श्रेणियों में प्रॉपर्टी टैक्स की दरें अर्बन एरिया की तरह ही हैं। जिला परिषद के दो दिवसीय सत्र में रिहायशी भवनों समेत कृषि क्षेत्र को संपत्ति कर के दायरे से बाहर रख अन्य श्रेणी के संपत्ति कर लिए जाने का प्रस्ताव पास कर दिया।
विकास एवं पंचायत विभाग चंडीगढ़ से प्रधान सचिव ने 11 सितंबर को पत्र क्रमांक 81068-89 जारी किया था। इसका जवाब जिला परिषद ने 10 नवंबर को ही भेज दिया था। अब गुरुवार व शुक्रवार दो दिवसीय सदन में जिला परिषद की बैठक में यह संभावित करों की सांकेतिक सूची पारित करने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन सदना ने गांवों ने विशेषकर गांवों में रिहायशी पर किसी भी तरह का टैक्स वसूलने पर आपत्ति जताई। इन्हें दायरे से बाहर रख रूरल एरिया में दुकानों, शिक्षण संस्थानों, ईंट भट्ठों, शॉपिंग मॉल, बैंक, होटल, रेस्तरां, निजी ऑफिस, क्रेशर व फैक्ट्रियों पर सांकेतिक सूची में दी संभावित टैक्स दर लागू करने की तैयारी है। अब प्रस्ताव विकास एवं पंचायत विभाग को जाएगा और सरकार संपत्ति कर पर फैसला लेगी।
नगर निकाय के अनुसार मंजिल वार छूट : पहली मंजिल पर 40 प्रतिशत, दूसरी पर 50 प्रतिशत, बेसमेंट पर 50 प्रतिशत छूट रहेगी। एक हजार गज से अधिक के व्यवसायिक भूखंड को कामर्शियल सपेश में माना जाएगा। यदि व्यवसायिक स्थान, दुकान अथवा किसी हिस्से को किराया अथवा लीज पर दिया गया है तो किराया दिया गया एरिया पर सवा गुणा अधिक टैक्स लगेगा।
क्या कहते है अधिकारी
ने बताया कि शहर की तरह ग्रामीण क्षेत्र में प्रॉपर्टी टैक्स लेने की प्लानिंग है। हाल ही में जिला परिषद के दो दिवसीय सत्र में सदन ने विशेषकर गांवों में रिहायशी पर किसी तरह का टैक्स वसूलने पर आपत्ति जताई है। सदन की यह कार्रवाई उच्चाधिकारियों को भेजी जा रही है।
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