पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी और उनके दोस्त टशी दावा की दोस्ती की मिसाल है अटल टनल रोहतांग, जानेंं कई रोचक बातें

हिमाचल प्रदेश के मनाली स्थित रोहतांग के नीचे बनी अटल रोहतांग टनल किसी अजूबे से कम नहीं है। इस टनल के निर्माण में कई लोगों ने अपना योगदान दिया है। लेकिन यह टनल देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और उनके खास दोस्त टशी दावा की दोस्ती की मिसाल भी है।
वर्ष 1942. आरएसएस के कोर्स में नागपुर में दो युवाओं की मुलाकात होती है और वहां दोनों की दोस्ती परवान चढ़ती है। ये दोनों दोस्त थे अटल बिहारी वाजपेई और टशी दावा जब अटल देश के प्रधानमंत्री बने तब संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी चमन लाल ने कई साल बाद दोनों को मिलवाया। फिर टनल निर्माण को लेकर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और अब नतीजा सबके सामने है।
टशी दावा उर्फ अर्जुन गोपाल के बुलावे पर ही अटल बिहारी वाजपेयी बतौर पीएम 2 जून 2000 को लाहौल स्पीति के केलांग पहुंचे और यहां पर वाजपेयी ने रोहतांग सुरंग निर्माण की विधिवत घोषणा की। सुरंग निर्माण के लिए टशी दावा अपने दो दोस्तों छेरिंग दोरजे और अभय चंद राणा के साथ कई बार दिल्ली जाकर वाजपेयी से भी मिले। टशी और अब वाजपेई दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन यह टनल दोनों की दोस्ती की मिसाल है।
रोहतांग टनल निर्माण की सुगबुगाहट दशकों से चल रही थी। लेकिन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में मनाली के बाहंग से पलचान से साउथ पोर्टल सड़क मार्ग का शिलान्यास किया। वर्ष 2000 में टनल परियोजना की अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपये आंकी गई थी और 2007 में स्नोवी माउंटेन इंजीनियरिंग कारपोरेशन को निर्माण का ठेका दिया गया। घोषणाओं के बावजूद 2009 तक कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई। बाद में रोहतांग टनल निर्माण को हरी झंडी दी गई और 28 जून 2010 को सोनिया गांधी के टनल शिलान्यास किया।
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