हिमाचल में यहां बन रही है ब्लैक फंगस की दवाई, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

कई राज्यों में ब्लैक फंगस (Black fungus) महामारी घोषित हो चुकी है। यह बीमारी (Disease) ऐसे समय में आई है जब राज्य में कोरोना कहर बरपा रहा है। वहीं ब्लैक फंगस बीमारी की दवा भी हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के फार्मा हब बद्दी में बन रही है। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन की यूनाइटेड बायोटेक कंपनी ब्लैक फंगस के लिए एम्फोटेरिसिन-बी दवा का निर्माण कर रही है।
हालांकि पहले कंपनी इस दवा को विदेशों में निर्यात करती थी, जबकि अब घरेलू इस्तेमाल यानी देश में इस्तेमाल करने के लिए कंपनी को दवा बनाने का लाइसेंस मिल गया है। जल्द ही कंपनी देश और राज्य के लिए ब्लैक फंगस की दवा तैयार करना शुरू कर देगी। प्रदेश के फार्मा हब बीबीएन (BBN) ने देश और प्रदेश में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संबंधित आवश्यक दवाएं उपलब्ध करवाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बीबीएन के फार्मा उद्योग दवा उत्पादन से जुड़ी स्वदेशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी ओर से ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन सिलिंडर, थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, आवश्यक दवाएं, मास्क और सैनिटाइजर जैसा उपयोगी सामान भी प्रदेश सरकार को प्रदान किया है। इससे प्रदेश में कोरोना मरीजों के इलाज में गुणात्मक सुधार हुआ है।
वहीं महामारी के शुरुआती दिनों में अधिकतर इस्तेमाल की गई पैरासिटामोल, अजिथ्रोमायसीन, हाइड्रोक्लोरोक्वीन और फैवीपीरावीर जैसी दवाओं का उत्पादन यहीं हुआ। यहां से आवश्यक दवाओं की आपूर्ति पूरे देश में हो रही है। डॉक्टर रेडी और जुवनैइट फार्मा जैसे बड़े दवा उत्पादक घराने कोरोना से संबंधित दवाओं के उत्पादन के लिए लोन लाइसेंस के आधार पर भी काम कर रहे हैं।
अब ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवा भी देश के सबसे बड़े फार्मा हब बीबीएन में बन रही है। ड्रग कंट्रोलर नवनीत मरवाह ने बताया कि कोरोना संक्रमण की अधिकांश दवाएं राज्य में बनती हैं। एशिया में 45 फीसदी दवाओं को उत्पादन हिमाचल प्रदेश में होता है।
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