रास्ता ना होने के कारण JCB में बैठकर कोरोना वैक्सीनेशन के लिए गांव तक पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कोई भी सुविधा मुहैया करवाने से पहले भगौलिक हालात को समझना और जूझना पड़ता है। मौजूदा समय में कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) के लिए भी कुछ ऐसा ही करना पड़ रहा है। मंडी (Mandi) जिले के करसोग उपमंडल के तहत कार्यरत स्वास्थ्य विभाग (Health Worker) के कर्मियों ने गजब की मिसाल पेश की है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों से जूझकर, सड़क सुविधा से महरूम ग्राम पंचायत सरतेयोला में पहुंचकर, वहां रह रहे बुजुर्गों और असमर्थ लोगों को कोरोना वायरस की रोकथाम के टीके लगाए।
पंचायत तक पहुंचने में स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को इतनी ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी कि एक जगह उन्हें जेसीबी मशीन के बकेट पर बैठकर रास्ता पार करना पड़ा। फिर भी इन कर्मियों ने हिम्मत नहीं हारी और पंचायत के मुख्यालय तक पहुंचकर टीकाकरण के कार्यक्रम को पूरा करके दिखाया। सरतेयोला पंचायत को जाने वाले रास्ते पर सड़क निर्माण का कार्य चला है जिस कारण रास्ता भी क्षतिग्रस्त हो गया है। ऐसे में टूटे हुए रास्ते को पार करवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मी जेसीबी के बकेट में बैठे और फिर दूसरी तरफ पहुंचकर पैदल यात्रा शुरू की। पंचायत तक पहुंचने के लिए बिना रास्ते वाले पहाड़ को भी चढ़ा।
इसका वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे जान हथेली पर रखकर इन कर्मियों ने टीकाकरण केंद्र तक पहुंचने का जोखिम उठाया था। 5 से 6 किमी की पैदल यात्रा के बाद यह दल टीकाकरण केंद्र पहुंच पाया। सरतेयोला पंचायत में वेक्सीन लगाने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम में फार्मासिस्ट रमेश वर्मा, फीमेल हेल्थ वर्कर कला ठाकुर व याचना शामिल रही।
आपको बता दें कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए जारी टीकाकरण अभियान के तहत इस पंचायत में कैंप लगाने का मकसद यही था कि यहां रह रहे बुजुर्गों और असमर्थ लोगों को टीके लगाए जा सकें। इसके लिए बीएमओ करसोग की तरफ से विशेष दल यहां पर भेजा गया था। सरतेयोला पंचायत के प्रधान तिलक वर्मा ने इसके लिए बीएमओ करसोग और आई हुई टीम का आभार जताया और उम्मीद जताई कि भविष्य में भी इनका सहयोग ऐसे ही मिलता रहेगा।
करसोग उपमंडल के तहत आने वाली सरतेयोला पंचायत आजादी के 74 सालों के बाद भी सड़क सुविधा से महरूम है। हालांकि पंचायत तक सड़क पहुंचाने का कार्य चला हुआ है, लेकिन तीन वर्षों से यह काम कछुआ गति से हो रहा है, जिस कारण ग्रामीणों को अभी भी ढेरों परेशानियों से जूझना पड़ रहा है।
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