हिमाचल में बेसहारा पशुओं को मिलेगा आश्रय, सात जिलों में बनेंगी गोशाला

हिमाचल सरकार का कहना है कि प्रदेश से अगले डेढ़ साल में बेसहारा पशुओं से मुक्त कर दिया जाएगा। जो भी पशु वर्तमान में सड़कों पर हैं, उन सभी को आश्रय दिया जाएगा। इनके आश्रय को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने सोमवार को नई योजना की शुरुआत कर दी है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने यहां पशुपालन विभाग की गोसदन, गोशाला और गो अभयारण्य योजना को सहायता और राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम चरण-दो के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि डेढ़ साल के भीतर हिमाचल प्रदेश को देश का बेसहारा पशु मुक्त राज्य बनाने के प्रयास जारी हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि गोसदन, गोशाला, गो अभयारण्य योजना सहायता के अंतर्गत भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, पशु उत्पादकता और स्वास्थ्य के लिए सूचना नेटवर्क और राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्ण टैगिंग के बाद उन सभी गोसदनों, गोशालाओं और गो अभयारण्यों के रखरखाव के लिए भत्ते के रूप में प्रति माह 500 प्रति गाय दिए जाएंगे, जिनमें मवेशियों की संख्या 30 या इससे अधिक है।
इन लाभों को सरकार द्वारा स्थापित गो अभयारण्यों, गोशालाओं, पंचायतों, महिला मंडलों, स्थानीय निकायों और गैर-सरकारी संगठनों आदि द्वारा चलाई जा रही गो अभयारण्यों और गोशालाओं तक बढ़ाया जाएगा। किसी को भी अपने मवेशियों को लावारिस छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्य सरकार की पहली मंत्रिमंडल की बैठक में ही अराजनीतिक तौर पर मानवीय दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया गया था कि बिना किसी आय सीमा के वृद्धावस्था पेंशन का लाभ उठाने के लिए आयु सीमा 80 वर्ष से घटाकर 70 वर्ष की जाए। मंत्रिमंडल के दूसरे फैसले में बेसहारा पशुओं को आश्रय देने और गो सदनों के रखरखाव के लिए प्रति बोतल शराब पर एक रुपए का उपकर लगाने का प्रावधान किया गया।
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