हिमाचल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रहा था ये डॉक्टर, ऐसे आया पकड़ में

हिमाचल प्रदेश में कोरोना के संकट के दौर में कालाबाजारी ( Black marketing) का बाजार भी गर्म है। कई लोग नकली दवाएं बना कर अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन( Fake Remadecivir Injection)बनाने का मामला सामने आया है।
मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित क्राइम ब्रांच( Crime Branch) ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में डॉ. विनय त्रिपाठी को गिरफ्तार किया था। जब डॉक्टर से पूछताछ की तो पता चला कि वह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सूरजपुर में टयूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड ( Tulip Formulations Pvt Ltd) नामक कंपनी का संचालन करता था और यहां पर नकली इंजेक्शन बनाए जाते थे।
हिमाचल प्रदेश में डॉक्टर की कंपनी का कामकाज उनका मैनेजर पिंटू कुमार देखता था। जब पुलिस की पूछताछ की तो पता चला कि कंपनी में पेंटाजोल टेबलेट बनाई जाती हैं। डॉ. त्रिपाठी ने मैनेजर पिंटू के माध्यम से धर्मशाला के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर के समक्ष रेमडेसिविर बनाने के लिए आवेदन पेश किया था, लेकिन एडिशनल ड्रग कंट्रोलर ने इसकी अनुमति प्रदान नहीं दी थी। लेकिन कंपनी में अवैध तरीके से इंजेक्शन बनाए जाते थे। इस पूरे मामले में एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला की ओर से भी कार्रवाई हो रही है, और इस मामले में कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।
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