Electricity Crisis: हिमाचल में भी गहराया बिजली संकट, बार-बार बिजली कट से परेशान हुए लोग

Electricity Crisis:  हिमाचल में भी गहराया बिजली संकट, बार-बार बिजली कट से परेशान हुए लोग
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Electricity Crisis: पूरे देश में इन दिनों बिजली संकट (Power Crisis) की समस्या आम हो गई हैं। पिछले कई दिनों से देश के लगभग सभी राज्य इस परेशानी से जूझ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश (himachal pradesh) में भी अब बिजली संकट गहराने लगा है।

पूरे देश में इन दिनों बिजली संकट (Power Crisis) की समस्या आम हो गई हैं। पिछले कई दिनों से देश के लगभग सभी राज्य इस परेशानी से जूझ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश (himachal pradesh) में भी अब बिजली संकट गहराने लगा है। लंबे-लंबे कटों पर लोग परेशान हो गए हैं। जानकारों की मानें तो प्रदेश में बिजली संकट की सबसे बड़ी वजह पावर सरप्लस हिमाचल के पास वर्तमान में हाइड्रो सेक्टर (hydro sector) में भी उत्पादन गिरा है। जिसकी वजह से थर्मल प्लांट से आने वाले राज्य के शेयर की बिजली भी नहीं आ रही। हालांकि लोड शेडिंग का तुरंत कोई खतरा नहीं है। ऊर्जा राज्य हिमाचल में वर्तमान में करीब 11000 मेगावाट बिजली का ही दोहन किया जा रहा है। इनमें से बोर्ड के पास 487 मेगावाट, पावर कारपोरेशन के पास 265 मेगावाट, केंद्रीय और संयुक्त क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7500 मेगावाट, हिमऊर्जा के पास 315 मेगावाट, स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों के पास 2010 मेगावाट और राज्य के हिस्से के 160 मेगावाट के प्रोजेक्ट हैं।

आपको बता दें कि इसी साल अगस्त और सितंबर में बरसात में नदियों में पानी होने के कारण अधिकतम प्रतिदिन 630 लाख यूनिट बिजली थी, लेकिन अब यह सिर्फ 396 लाख यूनिट है। इसलिए उत्पादन पहले ही कम है, क्योंकि नदियों में पानी का स्तर गिर रहा है। आगे चूंकि सर्दियों का सीजन है, इसलिए उत्पादन अब कम ही होगा। स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर में नौ अक्तूबर को कुल 396 लाख यूनिट बिजली थी। इसमें बिजली बोर्ड की अपनी प्रोडक्शन, सेंट्रल शेयर और राज्य सरकार की इक्विटी के बदले निजी प्रोजेक्टों से आने वाली बिजली भी शामिल है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में घरेलू उपभोक्ता 16 लाख से ज्यादा हैं। लेकिन बिजली की खपत उद्योगों में सबसे ज्यादा है। प्रदेश में शनिवार को यूज की गई 318 लाख यूनिट में से सबसे ज्यादा 218 लाख यूनिट उद्योगों में फूंकी गई। घरेलू उपभोक्ताओं ने सिर्फ 100 लाख यूनिट बिजली खर्च की है। वर्तमान में राज्य को न तो बैंकिंग पर किसी अन्य राज्य से बिजली आ रही है, न ही हम ग्रिड की एक्सचेंज के अलावा बिजली बेच रहे हैं।

बिजली कटों को लेकर शिमला के चीफ इंजीनियर ई. अश्वनी सूद ने कहा कि बिजली की उपलब्धता दो कारणों से कम हुई है।श इंजीनियार अश्वनी सूद बताया कि एक तो नदियों में पानी कम होने से उत्पादन गिरा है, दूसरा कोल आधारित संयंत्रों से बिजली का हिस्सा नहीं मिल रहा। इसके बावजूद हम पावर सरप्लस कैटेगरी में हैं। दिक्कत आई, तो भी राज्य में पावर कट लगाने की नौबत नहीं आएगी। जल्द ही समस्या से निजात पाया जाएगा।

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