हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला: सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पाने वाली मां को भी मिलेगी मैटरनिटी लीव

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने सेरोगेट मदर्स को लेकर अहम टिप्पणी की है। हिमाचल हाईकार्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरोगेसी (Surrogacy) से मां बनने वाली महिला कर्मचारी भी मैटरनिटी लीव (Maternity Leave) की हकदार हैं। गुरुवार को जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सुषमा देवी की ओर से दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया गया है।
बच्चे और मां के बीच स्नेह के लिए छुट्टी जरूरी
खंडपीठ ने साफ कहा कि मातृत्व अवकाश का मतलब महिलाओं को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करवाना है। मातृत्व और बचपन दोनों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत रहती है। मैटरनिटी लीव प्रदान करते समय न केवल मां और बच्चे के स्वास्थ्य के मुद्दों पर विचार किया जाता है, बल्कि दोनों के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए छुट्टी दी जाती है। सेरोगेसी से बनी मां और एक प्राकृतिक मां में भेद करने से नारी का अपमान होगा। बच्चे के जन्म पर मातृत्व कभी खत्म नहीं होता है।
नवजात बच्चे को दूसरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता
कोर्ट ने कहा कि इसी कारण सरोगेसी व्यवस्था (Surrogacy system) के माध्यम से बच्चा पाने वाली एक मां को मातृत्व अवकाश से इनकार नहीं किया जा सकता है। इन हालात में एक महिला के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। एक नवजात बच्चे (Newborn) को दूसरों की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता है। उसे पालन पोषण की आवश्यकता है और यह सबसे महत्वपूर्ण समय रहता है, जब बच्चे को अपनी मां की देखभाल और ध्यान की जरूरत होती है। जीवन के पहले वर्ष में बच्चा बहुत कुछ सीखता है।
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