शहीद की अंतिम विदाई: नम आंखों से लोगों ने शहीद सुरेश ठाकुर को दी विदाई

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शहीद जवान सुरेश कुमार का गुरुवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। वह कश्मीर में एक सड़क हादसे में मारे गए थे। गुरुवार सुबह करीब 8:00 बजे तिरंगे में लिपट 43 वर्षीय शहीद सुरेश ठाकुर का शव चंद मिनटों के लिए घर पहुंचा। इस दौरान मां शीला देवी की आंखों से बेटे को लिपटने के दौरान लगातार बस आंसू बहते रहे। पत्नी शीला को यह समझ ही नहीं आ रहा था कि अचानक यह सब कैसे हो गया। 75 साल के पिता जोगिंदर सिंह गमगीन थे।
लेकिन, इस बात पर भी गर्व महसूस कर रहे थे कि उनका बेटा देश के काम आया है। 15 व 12 साल के बेटे विवेक व आर्यन को ठीक से इस बात का भी नहीं पता था कि अब उनके पिता नहीं लौटेंगे। करीब 9:15 बजे के आसपास जब घर से अंतिम यात्रा शुरू हुई तो सैकड़ों लोगों की आंखें नम थीं। समूची घाटी धार शहीद को अश्रुपूर्ण विदाई दे रही थी।इससे पहले, बुधवार रात को ही शहीद की पार्थिव देह नाहन पहुंच गई थी, जिसे मेडिकल कॉलेज के शव गृह में रखा गया था। गुरुवार सुबह ही पार्थिव देह को पैतृक गांव के लिए रवाना कर दिया गया।
घाटी धार के कांडू कटिहार के रहने वाले शहीद सुरेश ठाकुर को बचपन से ही देश सेवा का जज्बा था। भाई संजीव कुमार व बाबूराम भी गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। भाईयों की मौजूदगी में किशोर बेटों ने अपने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि में राजनीतिज्ञों व प्रशासनिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सैनिक वेलफेयर बोर्ड के उपनिदेशक मेजर दीपक धवन मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि उधमपुर से श्रीनगर जा रहे सेना के काफिले के एक वाहन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने की वजह से घाटी धार के बेटे हवलदार सुरेश ठाकुर का भी निधन हो गया था।
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