हिमाचल में अटल रोहतांग टनल के उद्घाटन की तैयारियां जोरों पर, पीएम मोदी के दौरे से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का मनाली दौरा प्रस्तावित

हिमाचल में अटल रोहतांग टनल के उद्घाटन की तैयारियां जोरों पर, पीएम मोदी के दौरे से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का मनाली दौरा प्रस्तावित
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हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले के मनाली स्थित अटल टनल, रोहतांग के उद्घाटन से पहले इसे अंतिम रूप देने की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। पीएम मोदी के 29 सितंबर को प्रस्तावित दौरे और उद्घाटन से पहले बीआरओ की टीमें दिन रात इसे फाइनल टच देने के लिए लगी हुई हैं।

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू जिले के मनाली स्थित अटल टनल, रोहतांग के उद्घाटन से पहले इसे अंतिम रूप देने की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। पीएम मोदी के 29 सितंबर को प्रस्तावित दौरे और उद्घाटन से पहले बीआरओ की टीमें दिन रात इसे फाइनल टच देने के लिए लगी हुई हैं। हिमालय की पीर पंजाल रेंज में 10 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर निर्मित विश्व की सबसे लंबी और आधुनिक सुरंग बनकर तैयार है। यह लाहौल-स्पीति व कुल्लू जिले को जोड़ेगी।

सुरंग के उद्घाटन के संबंध में कुल्लू की उपायुक्त ऋचा वर्मा, लाहुल स्पीति के उपायुक्त केके सरोज व सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के चीफ इंजीनियर केपी पुरषोथमन ने गुरुवार को बैठक भी की है। पीएम मोदी के दौरे से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का मनाली दौरा प्रस्तावित है। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी विशेष वाहन से नौ किलोमीटर लंबी अटल टनल रोहतांग को अंदर से निहारेंगे। वह कुल्लवी और सुरंग पार करते ही लाहुली संस्कृति से रूबरू होंगे। रोहतांग टनल को बनाने में दस साल लग गए। टनल की वजह से अब लद्दाख सालभर पूरी तरह से जुड़ा रहेगा। साथ ही मनाली से लेह के बीच करीब 46 किलोमीटर की दूरी कम हो गई है।

टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। टनल के बनने से सबसे ज्यादा फायदा लद्दाख में तैनात भारतीय फौजियों को होगा। क्योंकि इसके चलते सर्दियों में भी हथियार और रसद की आपूर्ति आसानी से हो सकेगी। इस टनल के अंदर कोई भी वाहन अधिकतम 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकेगा। टनल बनाने की शुरूआत 28 जून 2010 को हुई थी।

यह सुरंग घोड़े के नाल के आकार में बनाई गई है। टनल में एक बार में 3000 कारें या 1500 ट्रक एक साथ निकल सकते हैं। 4 हजार करोड़ रुपये की लागत बनी टनल के अंदर अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है। वेंटिलेशन सिस्टम भी ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है। टनल के अंदर 200 मीटर के अंतराल के बाद फायर हाइड्रेंट की व्यवस्था की गई है। ताकि आग लगने की स्थिति में बचाव किया जा सके।

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