हिमाचल में 405 नई पंचायतें गठित, दिसंबर तक पंचायत चुनाव संभावित

कोरोना संकट के बीच हिमाचल पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ा है। इस बार पंचायत और नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले नई पंचायतों के गठन के अलावा नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई।2005 के बाद यह पहला मौका है जब नई पंचायतों का गठन हुआ है। गठन की प्रक्रिया होने के बाद अब पुनर्सीमांकन की प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने इसकी पुष्टि की है। इस बार हुए पुनर्गठन में 405 नई पंचायतें बनी हैं, जबकि 2005 में 206 नई पंचायतें बनी थीं।
नई पंचायतों के लिए अब पंचायत घर की भी जरूरत पड़ेगी और फर्नीचर भी लाना होगा। इसके अलावा स्टाफ की भी तैनाती होगी जिसमें पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सेवक, जेई सहित और चौकीदार के पद भरे जाएंगे। ऐसे में हर पंचायत के लिए 50 लाख रूपये खर्च होने का अनुमान है, जो सरकारी खजाने पर कोरोना संकट में बड़ा बोझ होगा। इसके अलावा, हर साल 10 लाख रूपये पंचायत पर खर्च होंगे। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कोरोनाकाल में यह चिंता का समय है कि आर्थिक बोझ पड़ रहा है, लेकिन लोगों की इच्छा थी कि नई पंचायतें बनें। क्योंकि कई स्थानों पर लोगों को मिला दूर चलके पंचायत घर तक पहुंचना पड़ता था। सीएम जयराम ठाकुर भी यही चाहते थे कि जितना यूनिट छोटा होगा, विकास भी ज्यादा होगा।
इसी साल होने हैं पंचायत चुनाव
चूकिं नई पंचायतों का गठन समय-समय पर होता रहता है। लोगों के काम भी घर द्वार पर ही होते हैं। हालांकि, इस बार पंचायत चुनाव भी हैं। दिसंबर तक पंचायत चुनाव संभावित हैं। नए साल में पंचायतें काम करना शुरू कर देंगी। राजनीतिक दल भी पंचायती राज चुनावों का इंतजार करते हैं। क्योंकि यही मौका होता है जब पंचायतों में अपनी पार्टी की विचारधारा के ज्यादा से ज्यादा लोग जिताकर लाए जा सकें।
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