हिमाचल के टीचर्स के लिए खुशखबरी: 8 सालों से पढ़ा रहे हैं तो नहीं जाएगी नौकरी

हिमाचल प्रदेश में एसएमसी शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को खारिज करने के आदेश को पलट दिया है। एसएमसी शिक्षक पिछले 8 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब कोर्ट के फैसले के बाद इनकी सेवाएं जारी रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश के दुर्गम और दूरदराज क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे 2555 एसएमसी शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है।
प्रदेश सरकार ने इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से भी एसएलपी दायर की थी। सरकार ने हाईकोर्ट से फैसले पर अमल करने के लिए अधिकतम एक वर्ष का समय मांगा था। सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाध सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी हैं।
हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों की नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुनाया था। प्रार्थी कुलदीप कुमार और अन्यों ने सरकार की ओर से स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर की गईं एसएमसी भर्तियां को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि इन शिक्षकों की नियुक्ति गैरकानूनी हैं और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है। प्रार्थियों की यह भी दलील थी कि इन शिक्षकों की भर्तियां आरएंडपी नियमों के विपरीत हैं।
हाईकोर्ट ने प्रार्थियों की याचिका को स्वीकारते हुए न केवल इन अध्यापकों की नियुक्तियां रद्द करने के आदेश दिए थे बल्कि यह भी स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर नियमों के तहत शिक्षक नियुक्त करे। सुप्रीम कोर्ट में एसएमसी अध्यापकों का कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रुकावट सेवाएं दे रहे हैं और उनका चयन सरकार ने नियमों के तहत किया है।
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