केंद्र सरकार ने हिमाचल को दिया तोहफा, लुहरी पावर प्रोजेक्ट को दी मंजूरी, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार

हिमाचल में लुहरी परियोजना विभिन्न कारणों से लंबे समय तक विवादों में रही है। इस परियोजना को लेकर एसजेवीएन ने हिमाचल सरकार के साथ 27 अक्तूबर 2008 को एमओयू साइन किया था। पहले 38 किलोमीटर लंबी टनल का प्रस्ताव था जिस पर स्थानीय लोगों के अलावा राज्य सरकार को भी आपत्ति थी। कुछ लोगों ने जबरदस्त विरोध जताया था। नदी का एक बड़ा भाग सूख सकता था।
एसजेवीएन की डीपीआर पर भी कई सवाल उठे। परियोजना 700 मेगावाट से ज्यादा की थी और एक ही स्टेज पर बननी थी। उसके बाद मार्च,2015 में प्रदेश सरकार ने फिर से संभावनाएं तलाशने के लिए कहा। नई डीपीआर के तहत इसे तीन चरणों में बनाने को मंजूरी दी गई। 210 मेगावाट लूहरी चरण-।, 172 मेगावाट लूहरी चरण-।। और स्टेज III 382 मेगावाट की सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना के रूप में डिजाइन किया गया। उसके बाद ये सभी परियेाजनाएं एसजेवीएन को 29 अगस्त 2017 को दोबारा आवंटित की गई।
लंबे इंतजार के बाद केंद्र सरकार ने एसजेवीएन के लुहरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट स्टेज-1 में निवेश को मंजूरी प्रदान की है। पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने इस जलविद्युत परियोजना के लिए 1810.56 करोड़ के निवेश को मंजूरी दी है। 210 मेगावाट की ये जल विद्युत परियोजना हिमाचल के शिमला और कुल्लू जिले में सतलुज नदी पर निर्माणाधीन है।
सतलुज जल विद्युत निगम(एसजेवीएन) के सीएमडी नंदलाल शर्मा ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इनेबलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भारत सरकार से 66.19 करोड़ रुपए की बजटीय सहायता भी शामिल है जिससे विद्युत टैरिफ को कम करने में सहायता मिली है। इस मंजूरी के लिए सीएमडी ने केंद्र सरकार का आभार जताया है।
इन्वेस्टर मीट में पीएम की मौजूदगी में एमओयू
इसके बाद 2019 में हिमाचल सरकार की ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में पीएम की मौजदूगी में स्टैंड एलोन आधार पर इन परियेाजनाओं के निर्माण के लिए हिमाचल सरकार के साथ एमओयू हस्ताक्षरित किए गए थे। एसजेवीएन के सीएमडी नंद लाल शर्मा ने बताया कि 210 मेगावाट की लूहरी चरण- परियोजना को बिल्ड-ओन-ऑपरेट-मेंटेन (बूम) आधार पर हिमाचल शिमला और कुल्लू जिलों में एनएच-5 के साथ नीरथ गांव के समीप सतलुज नदी पर बनाया जा रहा है।
स्टेज-। परियोजना 3.40 घंटे के लिए पीकिंग जलाशय के साथ एक रन-ऑफ-द-रिवर योजना है। इसके लिए 80 मी.ऊंचा, 225 मी. लंबा तथा 8 मी. चौड़ा, एक कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया जाएगा, जिससे लगभग 6 किलोमीटर के जलाशय का निर्माण होगा। बांध निर्माण को सक्षम करने के लिए, नदी के प्रवाह को 10 मी. के व्यास एवं 567 मी. लंबी हार्स-शू आकार की डायवर्जन टनल के माध्यम से मोड़ा जाएगा। नंद लाल शर्मा ने बताया कि 644 क्यूमेक्स के डिस्चार्ज का उपयोग चार इनटेकों के माध्यम से किया जाएगा जो 90 मी. लंबे चार पेनस्टॉकों से गुजरते हुए टरबाईनों में प्रवेश करेगा।
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