HP: प्रदेश की झील और जलाशयों पर चहचहाने लगे विदेशी परिंदे

कोरोना महामारी के चलते सात माह से बंद पड़ी झीलों व जलाशय मे अब विदेशी पक्षियों की आवाज चहचहाने लगी है। आसपास के इलाकों में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मेहमान परिंदों का कलरव और अठखेलियों का विहंगम दृश्य पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण बना हुआ है। दरअसल, साइबेरिया और ट्रांस हिमालयी क्षेत्रों मसलन चीन, मध्य एशियाई देशों के साथ-साथ दूसरे कई देशों से शीतकालीन प्रवास पर सूबे के पौंग झील, गोबिंदसागर झील, पंडोह डैम और समीपवर्ती नंगल डैम झील पहुंचने वाले विदेशी परिंदों को अब स्वां नदी के तटवर्ती जलाशय भी भाने लगे हैं। प्रदेश की वेटलैंड पौंग झील में एक नवंबर तक लगभग दस हजार विदेशी परिंदों ने दस्तक दी है।
प्रदेश में हर साल अक्तूबर और नवंबर में प्रदेश की झीलों में लाखों विदेशी परिंदे हजारों मील की उड़ान तय कर पहुंचते हैं। पांच-छह महीने गुजारने के बाद गर्म मौसम के शुरू में ही लौट जाते हैं। वाइल्ड बर्ड वाचर प्रभात भट्टी ने कहा कि हर साल हजारों विदेशी परिंदे नंगल वेटलैंड में पहुंचते हैं। इनकी झील व जलाशयों में अठखेलियां लोगों व पर्यावरण प्रेमियों को खूब लुभाती है।
प्रदेश की झीलों, जलाशयों में डेरा डालने वाले विदेशी मेहमानों में रुढ़िशैलडक, बारहेडड, ग्रूस, पोचर्ड, कुटस, मैलारड़, मूरहेंस, स्वीट्सविल, कूट, गल, बिल, डक्स, सुरगाव सहित दूसरी कई प्रजातियां शामिल हैं। वन्य प्राणी एवं संरक्षण विभाग के डीएफओ राहुल रोहिने ने कहा कि एक नवंबर को की गई गणना में लगभग दस हजार विदेशी मेहमान परिंदे पौंग झील में पहुंचे हैं। ये हर साल अक्तूबर के मध्य में यहां पहुंचना शुरू हो जाते हैं। महीने में दो बार इन की गणना की जाती है। बीते साल पौंग झील में एक लाख से ज्यादा परिंदे पहुंचे थे।
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