हिमाचल में भारत बंद का कैसा रहा असर, यहां जानें हर शहर का हाल

हिमाचल प्रदेश में किसानों के कृषि बिल आंदोलन का कोई खास प्रभाव यहां देखने को नहीं मिला है। यहां सामान्य दिनों की भांति व्यापारी कारोबार अपना कारोबार चला रहें हैं। वहीं दूसरी ओर परिवहन सेवा भी सरकारी और निजी क्षेत्र में नहीं थमी। सुंदरनगर में बसों की चहल-पहल सामान्य रूप से होती नजर आई। भले ही सुंदरनगर में सुकेत व्यापार मंडल के एक धड़े ने किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए काले बिल्ले लगाकर विरोध जताया है और कारोबार सुचारू रूप से जारी रखा है, तो वहीं दूसरी ओर व्यापार मंडल बीबीएमबी कालोनी सुंदर नगर के प्रधान अश्विनी सैनी का कहना है कि हिमाचल व्यापार मंडल के प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर भारत बंद का समर्थन नहीं किया है और अपनी दुकानें खुली रखी हैं, लेकिन व्यापार मंडल किसानों की मांगों का समर्थन करता है और उनके आंदोलन का पूरी तरह से सहयोग करता है और सरकार से मांग करता है कि किसानों की मांगों को पूरा किया जाए और किसान विरोधी कृषि बिल रद्द किया जाए।
नगरोटासूरियां में बिना यात्रियों के दौड़ी बसें
किसानों के भारत बंद के आह्वान का असर जिला कांगड़ा के नगरोटासूरियां में नहीं दिखाई दिया। न कोई दुकान बंद की गई, न ही कोई निजी ट्रांसपोर्ट। सभी निजी बस ट्रांसपोर्टर्स ने अपनी गाडिय़ां सुचारू रूप से अपने समय सारिणी के अनुसार चलाईं, लेकिन सुबह-सुबह किसी भी बस में यात्री नहीं थे। परिचालकों का कहना था कि लोग भारत बंद के कारण बाहर नहीं निकल रहे हैं।
पंचरुखी के बाज़ार खुले
भारत बंद का पंचरुखी बाजार में कोई विशेष असर नहीं दिखा। हालांकि सुबह रोजना की तरह बाजार नहीं खुला, लेकिन दस बजे के बाद बन्द दुकानें भी खुल गईं। किसान आंदोलन के समर्थन में बाजार बंद नही हुआ। हालांकि सोमवार को जहां बाजार बंद रखने की एक पक्ष ने अपील की थी, वहीं दूसरे पक्ष ने ढोल बजाकर बाजार खुला रखने की अपील कर डाली। उधर क्षेत्र की किसान सभा न तो पक्ष में बोली न विपक्ष में। यहां की सभा ने चुप्पी ही साधी। अधिकांश दुकानदार बाजार खुले रखने के हक में नजर आए। उनका कहना था एक तो पहले ही कोरोना की मार से व्यापारी मंदे के दौर से गुजर रहे हैं और अब फिर दुकानें बंद नहीं की जा सकती। इसके अलावा भारत बंद को लेकर लोग भी असमंजस में थे, जो कम ही बाहर निकले।
बड़सर में भारत बंद की खबरों से ही घरों में दुबक गए लोग
किसान संगठनों व विपक्षी पार्टियों के आह्वान पर बुलाए गए भारत बन्द का असर बड़सर में देखने को मिला है। हालांकि बाजारों में व्यापारिक प्रतिष्ठान रोज़ की तरह खुले दिखाई दिए, लेकिन लोगों की आवाजाही बिलकुल कम दिखाई दी। हालात ये रहे कि बस ऑपरेटरों को सवारियों के न बैठने के कारण अपनी बसें मजबूरी में खड़ी करनी पड़ गईं। बस स्टाफ से पता चला कि उन्होंने आज खाली बसें न चलाने का फैसला लिया है।
यहां दिखा बंद का असर
कोरोना के कारण पहले से ही घाटे का शिकार हो रहे बस आपरेटर अब और घाटा सहने की हालत में नहीं हैं। एक बस आपरेटर नें बताया कि उसे घुमारवीं से बिझड़ी तक के सफर में मात्र 45 रु की सवारी मिल सकी है। बताते चलें कि ट्रांसपोर्ट यूनियन व व्यापार संगठनों ने हिमाचल में किसी तरह के बन्द का समर्थन नहीं किया था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से चल रही भारत बन्द की खबर से लोग अपने घरों से बचते दिखाई दिए। ऐसे में उपमण्डल के बाज़ारों में भारत बन्द का असर अप्रत्यक्ष रूप से काफी हद तक दिखाई दिया है।
चिंतपूर्णी में बाजार तो खुले, पर हर तरफ सूनापन
भारत बंद का असर चिंतपूर्णी में देखने को नहीं मिला। बाजार हर रोज की तरह आज भी खुला। हां यह जरूर है कि बाजार में चहल पहल कम देखने को मिली, परंतु चिंतपूर्णी बस स्टैंड में बाहरी राज्यों से आने व जाने वाली बसों के पहिए थम गए। अड्डा प्रभारी सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि भारत बंद के कारण हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें नहीं चली, परंतु हिमाचल के जो जिला के रूट हैं, उस पर बसें आ-जा रही हैं।
नौहराधार में गरजे किसान, खुले रहे बाज़ार
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा मंगलवार को भारत बंद का आयोजन किया गया। इसका असर नौहराधार में भी देखने को मिला। किसान पदाधिकारियों ने नौहराधार बाजार में जिला किसान सभा अध्यक्ष रमेश वर्मा की अगवाई में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इन्होंने हाथ में तख्ती उठाकर सरकार से आह्वान किया कि कृषि कानून को वापस लो। मोदी सरकार होश ने आओ, के नारों से पूरा बाजार गूंज उठा। किसान सभा ने तहसीलदार के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा। हालांकि नौहराधार में भारत बंद का असर नहीं दिखा।
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