आईसीएमआर के सर्वे में बड़ा खुलासा, आधा फीसदी हिमाचलियों में ही मिले एंटीबॉडी

हिमाचल में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सर्वे में यह बड़ा खुलासा हुआ है। प्रदेश में सिर्फ आधा प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाए गए हैं। यह रिसर्च रिपोर्ट हिमाचल सरकार के लिए सुकून के साथ चिंता का संदेश लेकर आई है। इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि हिमाचल में अभी न कम्यूनिटी स्प्रेड हुआ है और न ही पीक आया है। सुकून की खबर यह है कि हिमाचल में ट्रेस एंड ट्रैकिंग सिस्टम बेहतर रहा है। इसी कारण लक्षण व बिना लक्षण, सभी रोगियों की सरकारी प्रयासों से पहचान हुई है। बताते चलें कि आईसीएमआर ने देश के कई जिलों का इसके लिए रैंडमली चयन किया था। इस आधार पर कुल्लू जिला के 10 गांवों में कुल 399 आम लोगों के रैंडमली सैंपल लिए गए। खास है कि इसमें सिर्फ दो लोगों में एंटीबॉडी होने की पुष्टि हुई है। आईसीएमआर की इस सर्वे रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है।
जाहिर है कि हिमाचल में कम्यूनिटी स्प्रेडिंग के दावे किए जा रहे हैं। इसके अलावा विशेषज्ञ कोरोना का पीक आने की दुहाई दे रहे हैं। आईसीएमआर की यह रिपोर्ट इन तमाम दावों को हवा-हवाई साबित कर रही है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार आईसीएमआर ने देशभर में रैंडम आधार पर सैंपल भरे हैं। इसके लिए जिला, गांवों और सैंपल भरने वाले लोगों का चयन भी रैंडमली किया गया है। इसके लिए कुल्लू जिला के कुल 10 गांव चिन्हित किए थे। इन सभी में 40-40 सैंपल भरे गए थे।
अगस्त महीने में लिए गए इन सैंपल की रिपोर्ट आईसीएमआर ने अब जारी की है। इसमें एक सैंपल के खराब होने की सूचना है। बहरहाल रिपोर्ट के अनुसार कुल 399 सैंपल में से दो की रिपोर्ट पॉजिटिव और 397 की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। आईसीएमआर ने करीब तीन महीने पहले दिल्ली में इसी प्रकार का सर्वे किया था। इसमें 23 फीसदी से ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी विकसित पाए गए थे। इसके मुकाबले हिमाचल प्रदेश में अभी तक आधा फीसदी लोगों में ही इसकी पुष्टि होना चिंता के साथ सुकून का भी विषय है। इससे हिमाचल में जागरूकता और सरकारी निर्देशों की पालना का भी संदेश मिल रहा है।
क्या है एंटीबॉडी
कोविड महामारी से 80 फीसदी लोग बिना लक्षण के संक्रमित हो रहे हैं। इसके चलते अधिकतर लोग बिना लक्षणों के संक्रमित होने के बाद ठीक भी हो रहे हैं। इसका लोगों को पता ही नहीं चल रहा कि वे कब संक्रमित और कब ठीक हुए। ऐसे लोगों में एंटीबॉडी बन जाते हैं। एंटीबॉडी यानी रोग से लड़ने की शरीर में क्षमता विकसित होना। इसी का पता लगाने के लिए आईसीएमआर ने हिमाचल में रैंडमली एंटीबॉडी टेस्ट लिए थे।
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