कारगिल विजय दिवस: शहीदों के परिवारों को आज भी राजनेताओं की घोषणाओं के पूरा होने का इंतजार

कारगिल युद्ध में शहादत पाने वाले जिला बिलासपुर के शहीदों के परिजन आज भी राजनेताओं की ओर से की गई घोषणाओं को पूरा होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। जिले के सात में से पांच शहीदों व उनके परिवारों को पूरा मान-सम्मान मिल रहा है। जबकि दो शहीदों के परिवार आज भी राजनेताओं की ओर से की गई घोषणाओं के धरातल स्तर पर पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत में बिलासपुर जिला के जांबाजों ने भी पराकम दिखाया और सात ने शहादत का जाम पिया। इन जांबाज जवानों में जिला बिलासपुर के शाहतलाई क्षेत्र के कोसरियां ग्राम पंचायत के गांव कोठी के वीर सपूत नायक मंगल सिंह, वीर चक्र विजेता बद्दाघाट के हवलदार उधम सिंह, मोरसिंघी के हवलदार राजकुमार, पट्टा नसवाल के राइफलमैन विजयपाल, झंडूता के सेना मेडल नायकक्वनी कुमार, झंडूता के ही हवलदार प्यार सिंह, सुन्हानी के नायक मस्त राम ने अपने प्राणों का बलिदान देकर भारत की जीत में अपना नाम दर्ज करवाया था।
शहीद मंगल सिंह के पिता प्रेम सिंह ने बताया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उनके घर आकर विश्वास दिलाया था कि शहीद मंगल सिंह का एक चबूतरा बनाया जाएगा, जो आज तक नहीं बना है। सरकार ने सड़क का निर्माण कार्य करके पक्की भी की, लेकिन 20 सालों में एक बार भी इस सड़क की सुध लोनिवि की ओर से नहीं ली गई। जिसका उन्हें मलाल है।झंडूता के शहीद हवलदार प्यार सिंह की पत्नी सुरेश कुमारी ने बताया कि बेटे को सरकारी नौकरी दी गई है। इनके परिवार का कहना है कि इनके घर तक जो सड़क निकाली गई है, उसका नामकरण उनके शहीद पति के नाम पर नहीं हुआ है। जिसका सरकार ने वायदा किया था। बद्दाघाट के शहीद हवलदार उधम सिंह के बेटे को सरकारी नौकरी भी दी गई है। सरकार की ओर से इनके परिवार को जरूरी सभी सुविधाएं दी गई हैं। मोरसिंघी के शहीद राजकुमार के नाम पर सरकार ने एक नस्वाल में पेट्रोल पंप दिया है। पट्टा नसवाल के राइफलमैन शहीद विजयपाल के बेटे को सरकारी नौकरी और इनके परिवार के नाम पर एक गैस एजेंसी दी गई है। इस परिवार को भी वो सारा सम्मान दिया गया है जो एक शहीद के परिवार को मिलना चाहिए।
झंडूता के सेना मेडल नायक शहीद अश्वनी कुमार के नाम पर एक पेट्रोल पंप दिया गया है। वहीं सरकार ने झंडूता स्कूल का नाम भी शहीद अश्वनी कुमार के नाम पर रखा है। उन्हें भी मरणोपरांत पूरा मान-सम्मान सरकार द्वारा दिया गया। वहीं, झंडूता से एसडीएम मुख्यालय आनंदघाट तक सड़क का नाम भी शहीद अश्वनी स्मारक रखा गया है। सुन्हानी के कारगिल शहीद मस्त राम का बेटा सरकारी नौकरी में है। शहीद के बेटे मदन लाल ने बताया कि इनके परिवार को सरकार ने जो भी वायदा किया था उसे पूरा कर दिया गया है। कारगिल शहीदों के परिवारों को पूरी सुविधाएं मुहैया करवाना और उनके परिवारों को नौकरी दिलवाने के लिए सैनिक बोर्ड पूरा सहयोग करता है। अगर किसी शहीद के परिवार को किसी प्रकार की कोई समस्या हो तो बोर्ड उसके निवारण के लिए काम करता है। बिलासपुर के सभी कारगिल शहीदों के परिवारों को पूरी सुविधाएं दी गई हैं। अगर किसी परिवार को कोई समस्या हो तो वो सैनिक बोर्ड को इससे अवगत करवाए।
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