हिमाचल में बिजली की चोरी करने पर हो सकती है जेल, चोरी रोकने के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन

हिमाचल प्रदेश सरकार बिजली की चोरी करने वालों को छोड़ने के मूड में नहीं है। प्रदेश बिजली बोर्ड के संयुक्त निदेशक (लोक संपर्क) अनुराग पराशर ने कहा कि बिजली चोरी एक बड़ा अपराध बन गया है। प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं से उन्होंने आग्रह किया है कि वे न बिजली की चोरी करें और न ही बिजली चोरी को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि यदि कोई अन्य बिजली उपभोक्ता भी चोरी करता है, तो साथ वाले विद्युत उपभोक्ता की भी हानि होती है। इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 के अनुसार बिजली चोरी करते हुए पकडे़ जाने पर जेल जाने का प्रावधान भी है। इसके साथ ही जुर्माने के तौर पर भारी राशि अदा करनी पड़ सकती है। विद्युत उपभोक्ता अपने मीटर से छेड़छाड़ न करें।
लोग आसपास विद्युत आपूर्ति ले जाने के लिए प्रयुक्त तारों व अन्य सामग्री की देखभाल के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि एक परिसर से दूसरे परिसर में एक ही बिजली मीटर से विद्युत आपूर्ति ले जाना नियमों के विरुद्ध है और इस तरह सब-लेटिंग बिजली कनेक्शन गैर कानूनी है। बोर्ड ने अपने विद्युत भार की सही जानकारी भी संबंधित विद्युत् बोर्ड उपंमण्डल में देने का आग्रह किया है। विद्युत चोरी की सूचना देने की दिशा में शिकायतकर्ता का नाम व पता गुप्त रखा जाएगा और बिजली चोरी के मामले में प्राप्त राजस्व में से कुछ प्रतिशत शिकायतकर्ता को दिए जाने का भी प्रावधान है।
उन्होंने बोर्ड स्तर पर बिजली चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विद्युत चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष उड़न दस्तों का गठन किया गया है और इन विशेष उड़न दस्तों को शिकायत या फील्ड दौरों के आधार पर लगातार फील्ड में भेजा जा रहा है। बोर्ड अब इस तरह के आधुनिक बिजली मीटर लगा रहा है, जिससे विद्युत चोरी का आसानी से पता लगाया जा सकता है। बोर्ड द्वारा दूसरे प्रचार के माध्यमों से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत चोरी की हानियों और इसमें सजा प्रावधानों के बारे में अवगत करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मार्च, 2019 से लेकर जून, 2020 तक उडन दस्तों द्वारा दो लाख 27 हजार 317 कनेक्शनों की जांच की गई।
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