हिमाचल: कीटनाशक दवाओं से अब कैंसर का खतरा नहीं

हिमाचल में केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड ने हाल ही में बहुत सी जहरीली दवाओं को प्रतिबंधित किया तो किसानों और बागवानों के पास इसके बाद वैकल्पिक दवाओं का संकट छा गया था। पुराने स्टॉक से ही उन्हें काम चलाना पड़ रहा था। भारत सरकार के कृषि एवं किसान विकास मंत्रालय ने अब नए विकल्प के रूप में नई छह छिड़काव दवाओं को अधिसूचित किया है। प्रदेश के सेब बागवानों और अन्य कृषकों को जल्द ही नई जेनरेशन के मॉलीक्यूल से युक्त स्प्रे दवाएं मिलेंगी।
ये दवाएं पर्यावरण, मनुष्य, पशु और पक्षियों के लिए अनुकूल होंगी। इनसे कैंसर जैसे खतरनाक रोग नहीं होंगे। केंद्र सरकार ने इसी क्रम में छह नई खरपतवारनाशी, कीटनाशी और फफूंदनाशी दवाओं को अधिसूचित किया है। टेटफ्लूपाइरोलीमेट, फ्लोक्सापिप्रोलिन, इपफ्लूफेनोक्विन, ट्राईफ्यूसल्फ्यूरोन मिथाइल, टेक्लोफ्टालम और डिंप्रोपाइरीडाज। फ्लोक्सापिप्रोलिन और इपफ्लूफेनोक्विन फफूंदनाशक हैं। टेक्लोफ्टालम जीवाणुनाशी है और डिंप्रोपाइरीडाज कीटनाशक है। टेटफ्लूपाइरोलीमेट और ट्राईफ्यूसल्फ्यूरोन मिथाइल खरपतवारनाशी हैं।
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