हिमाचल में 17 अक्टूबर से जल्दी बंद नहीं होंगे मंदिर, सरकार ने जिला उपायुक्तों का दिए आदेश

हिमाचल में 17 अक्टूबर से जल्दी बंद नहीं होंगे मंदिर, सरकार ने जिला उपायुक्तों का दिए आदेश
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हिमाचल में 17 अक्तूबर से शुरू होने वाले नवरात्र पर्व पर मंदिरों के कपाट अब शाम को जल्दी बंद नहीं होंगे। इस बार मंदिरों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन किए बिना मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे।

हिमाचल में 17 अक्तूबर से शुरू होने वाले नवरात्र पर्व पर मंदिरों के कपाट अब शाम को जल्दी बंद नहीं होंगे। इस बार मंदिरों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन किए बिना मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे। सरकार की ओर से जिला उपायुक्तों को यह आदेश जारी कर दिए गए हैं, वहीं कहा गया है कि नवरात्र में श्रद्धालुओं की संख्या के आधार पर मंदिरों के खोलने का समय तय किया है।

भाषा, कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद ठाकुर ने सभी उपायुक्तों के साथ आगामी नवरात्र की तैयारियों संबंधी समीक्षा बैठक के दौरान यह आदेश जारी किए। उन्होंने अधिकारियों को नवरात्र में प्रदेश और अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को सभी प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ कोविड-19 संबंधी नियमों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

मंत्री ने कहा कि सभी उपायुक्त अपने संबंधित जिलों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 के दृष्टिगत मानक संचालन प्रक्रिया जारी कर श्रद्धालुओं को सुविधाजनक दर्शन की सुविधा उपलब्ध करवाएं। इस दौरान शक्तिपीठों में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर को अधिक समय तक खुला रखने की व्यवस्था भी की जाए। अतिरिक्त मुख्य सचिव भाषा, कला एवं संस्कृति आरडी धीमान, निदेशक भाषा, कला एवं संस्कृति कुमुद सहित सभी संबंधित जिलों के उपायुक्त इस बैठक में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि नवरात्र के दौरान मंदिरों में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जाए।

कोविड-19 से संबंधित स्वच्छता संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ पुजारियों, दुकानदारों आदि को भी आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि प्रदेश से सभी मंदिरों से जुड़े वृत्तचित्र का दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित कर प्रदेश की समृद्ध संस्कृति को देश के कोने-कोने में पहुंचाया जाएगा। मंदिर परिसरों में नवगृह वाटिका का निर्माण कर संबंधित मंदिर न्यास और ग्रामीण लोग इसका रखरखाव करें। मंदिर न्यास अपने साथ स्वयं सहायता समूहों को जोड़कर मंदिर में चढ़ने वाले फूलों से अग्रबत्ती या धूप तैयार कर महिलाओं को आर्थिक लाभ प्रदान करने के प्रयास करें।

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