हिमाचल में सीएम, मंत्रियों और विधायकों का एक साल तक कटेगा 30 फीसदी वेतन

हिमाचल में सीएम, मंत्रियों और विधायकों का एक साल तक कटेगा 30 फीसदी वेतन
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जयराम सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रियों, उपाध्यक्ष, विधायकों समेत संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं के वेतन में अगले एक साल तक तीस फीसदी की कटौती संबंधी अध्यादेश सदन में पेश कर दिया।

जयराम सरकार ने विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रियों, उपाध्यक्ष, विधायकों समेत संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं के वेतन में अगले एक साल तक तीस फीसदी की कटौती संबंधी अध्यादेश सदन में पेश कर दिया। अध्यादेश के साथ मुख्यमंत्री की ओर से इस बात की भी जानकारी दी गई कि क्यों वेतन कटौती संबंधी अध्यादेश लाने की जरूरत पड़ी। बताया कि कोविड के दौरान लड़ाई लड़ने के लिए फंड जुटाने के उद्देश्य से मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य सचेतक, विधानसभा सदस्यों और अन्य गणमान्य लोगों के वेतन में कटौती की गई।चूंकि, प्रदेश विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था और वेतन कटौती के लिए वेतन व भत्तों से संबंधित कानून में संशोधन आवश्यक था। इसलिए राज्यपाल ने 11 अप्रैल को आर्डिनेंस को मंजूरी दे दी। बता दें, कोरोना के दौरान केंद्र सरकार के वेतन कटौती के फैसले के बाद प्रदेश सरकार से कटौती का निर्णय लिया था। तय हुआ कि इस कटौती से जुटाई गई राशि को मुख्यमंत्री कोविड फंड में जमा कराया जाएगा और जरूरत के अनुसार उसे खर्च किया जाएगा।

कोरोना संकट के बीच काटे जा रहे विधायकों के वेतन को लेकर भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विपक्षी विधायकों पर जोरदार हमला बोला। कहा कि वेतन कटने से विपक्ष नाखुश है तो लिख कर दे। सबका पैसा वापस करवा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दान की गई राशि का शोर नहीं मचाया जाता है। यह पैसा इस संकट की घड़ी में लोगों की मदद के लिए खर्च किया जा रहा है।कहा कि माकपा विधायक राकेश सिंघा ने वेतन नहीं लेने को लेकर एक साल के चेक एडवांस में दे दिए हैं। असल भाव इसे कहा जाता है। सिंघा ने इस बारे कहीं भी ढिंढोरा नहीं पीटा। कहा कि कांग्रेस न जाने और किस हद तक गिरेगी। शर्म की भी एक सीमा होती है। कांग्रेस विधायकों ने तो हर हद को लांघ दिया है। सरकार को कांग्रेस विधायकों का इस तरह का कोई एहसान नहीं चाहिए। सदन में कांग्रेस का व्यवहार बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। कांग्रेस का ये सोचना कि जिसे सहन करना आता है, उसे कहना नहीं आता गलत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और कोरोना की राशि एक है। बीमारी तो लाइलाज है, लेकिन कांग्रेस का इलाज तो कई राज्यों में हो चुका है। लगता है कि कोरोना वायरस इनके दिमाग में घुस गया है। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां हालात बहुत खराब हैं। कांग्रेस को असल दुख तो इस बात का है कि आज के समय में उनकी केंद्र और प्रदेश में सरकार नहीं है। अगर उनकी सरकारें होती तो इन्हें लूट का अवसर मिल जाना था।


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