Panchayat Election: इस बार पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे डिफाल्टर

हिमाचल प्रदेश में इस बार पंयाचत चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी का साफ छवी का होना जरूरी होगा। ऐसा नहीं होने पर प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलेगा। राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है। ताकि ऐसे लोगों को सबक सिखाया जा सके। बुधवार को शिमला में सहकारिता सप्ताह के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन को जमीनी स्तर तक पहुंचाया जाना चाहिए। सहकारी सभाओं को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कार्य करना चाहिए। प्रदेश सरकार ऐसे व्यक्तियों को पंचायत चुनाव लड़ने के अधिकार से वंचित करने पर विचार करेगी, जो सहकारी सभाओं के ऋणों के दोषी हैं।
राज्य सरकार विभिन्न सहकारी सभाओं द्वारा दिए गए सुझावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी। सीएम ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 4843 सहकारी सभाएं कार्यशील हैं, जिनके 17.35 लाख से अधिक सदस्य और 38677 करोड़ की सक्रिय पूंजी है। यह सभाएं प्रदेश की 3226 ग्राम पंचायतों में 3156 डिपुओं के संचालन के साथ आम जनता तक आवश्यक वस्तुओं के वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सहकारी सभाएं लोकतंत्र और आत्मनिर्भरता की मूलभूत इकाइयां हैं, लेकिन इस दिशा में अभी काफी कार्य किया जाना बाकी है।
प्रदेश ने सहकारिता आंदोलन में देश का नेतृत्व किया है, क्योंकि पहली सहकारी सभा का गठन 1892 में ऊना जिला के पंजावर में किया गया था। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग को और सशक्त बनाने और विभाग में खाली पड़े पदों को भरने के लिए प्रदेश सरकार प्रभावी कदम उठाएगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सहकारिता सप्ताह के अवसर पर सहकारिता ध्वज का अनावरण भी किया। साथ ही सीमा देवी और पल्लवी को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया। सहकारिता कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सर्वजीत सिंह ठाकुर ने सहकारी सभाओं की विभिन्न मांगों के बारे में मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। उन्होंने आग्रह किया कि सहकारिता कर्मचारियों को कोरोना योद्धा घोषित किया जाए।
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