क्या राजस्थान जैसा सियासी संकट हिमाचल में तो नहीं?

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बीच सियासी घमासान जारी है। पार्टी के ही नेता और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने सरकार को एक तरह से 'बेपटरी' कर दिया है। हिमाचल में भी कांग्रेस का हाल कुछ ऐसा ही है। हालांकि, हिमाचल में कांग्रेस विपक्षी दल है। लेकिन यहां भी कांग्रेस में अंतर्कलह किसी से छुपी नहीं है। इसकी बानगी बीते दो सप्ताह में देखने को मिली है।
बीते रविवार (12 जुलाई) को शिमला में पूर्व सीएम के निवास हॉली लॉज में वीरभद्र सिंह ने कांग्रेस के तमाम नेताओं को लंच पर बुलाया था, लेकिन कांग्रेस के मौजूदा 9 विधायकों समेत कई दिग्गज नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। अहम बात यह है कि धर्मशाला से सुधीर शर्मा वीरभद्र सिंह के करीबी हैं। उन्होंने भी कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। बता दें कि हिमाचल विपक्षी दल कांग्रेस के पास इस समय सूबे में 21 विधायक हैं। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा के पास 44 विधायक हैं। हिमाचल विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 68 है।
प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने मौजूदगी दर्ज की, लेकिन पूर्व मंत्री कौल सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंद्र सुक्खू, पूर्व मंत्री जीएस बाली जैसे नेता इस सियासी लंच में नहीं पहुंचे। आमतौर पर वीरभद्र सिंह के बुलावे पर सभी नेता पहुंचते थे, लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल बदली नजर आईं। वीरभद्र सिंह लंच के बहाने पार्टी नेताओं को एकजुट करने का प्रयास कर रहे थे। प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर भी सबसे अंत में दोपहर बाद पहुंचे थे।
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने कहा कि यह महज एक लंच था। इस बैठक का कोई राजनीतिक लक्ष्य नहीं था। वहीं, राठौर ने कहा कि यह कार्यक्रम वीरभद्र सिंह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया गया है और इस कार्यक्रम को सियासी तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। वहीं, विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि फिलहाल, वह इतने बड़े नेता नहीं कि वह, दूसरे कांग्रेस नेताओं पर टिप्पणी कर सकें।
बता दें कि बीते माह 20 जून को पूर्व कांग्रेस मंत्री और अध्यक्ष रहे कौल सिंह ठाकुर के घर पर एक लंच बुलाया गया था। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्कू, के अलावा, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुधीर शर्मा भी मौजूद थे। सुधीर वीरभद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उनका कौल सिंह के लंच में आना बड़ी बात है। इसके बाद मामला हाईकमान तक दिल्ली पहुंचा था। एक पत्र सोनिया गांधी को लिखा गया था। वहीं, कौल सिंह के खिलाफ जहां मंडी में कांग्रेस नेताओं ने एक प्रस्ताव पारित किया था।
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