हिमाचल में सेब सीजन शुरू, मंडियों में लौटने लगी रौनक

हिमाचल में सेब सीजन शुरू, मंडियों में लौटने लगी रौनक
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जुलाई माह के शुरू होते ही सोलन और परवाणू की मंडियों में रौनक लौटने लगी है। सेब कारोबार के लिए स्थानीय आढ़तियों ने टेंट लगाने शुरू कर दिए हैं। सीजन के लिए दुकानें सजनी शुरू हो गई है।

जुलाई माह के शुरू होते ही सोलन और परवाणू की मंडियों में रौनक लौटने लगी है। सेब कारोबार के लिए स्थानीय आढ़तियों ने टेंट लगाने शुरू कर दिए हैं। सीजन के लिए दुकानें सजनी शुरू हो गई है। बाहरी राज्यों से धीरे-धीरे कारोबारी भी इन सब्जी मंडियों में पहुंच रहे हैं। कारोबारी अपने साथ मजदूर भी ला रहे हैं, जिससे सीजन के दौरान मजदूर न मिलने से उनका कामकाज प्रभावित न हो।

कोरोना संकट के कारण जिला की दो बड़ी मंडियों सोलन और परवाणू में सेब सीजन प्रभावित न हो इसके लिए मार्केटिंग कमेटी ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। मजदूरों की समस्या होने की आशंका थी,लेकिन बाहरी राज्यों से मजदूर पहुंच रहे हैं। करीब 100 मजदूर सोलन मंडी में पहुंच गए हैं। यह मजदूर जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और बिहार से आए हैं। इन्हें सेब मंडी में ही पीछे की और शैडों में क्वांरटाइन किया गया है। अभी और मजदूर भी आने हैं। सोलन में 20 जुलाई के बाद सेब सीजन रफ्तार पकड़ने लगेगा।

सोलन सेब मंडी में इस बार भी अस्थाई शैडों में ही कारोबार हो रहा है। मार्केटिंग कमेटी ने सोलन सब्जी मंडी के सामने स्टील का स्ट्रक्चर तैयार करने की प्रपोजल सरकार को भेजा था, लेकिन कोरोना संकट के कारण यह प्रक्रिया रुक गई और इस बार टीन के अस्थाई शैडों में ही कारोबार करना पड़ेगा। इन शैडों के पीछे ही मजदूरों को रखने की व्यवस्था भी की गई है। पहले आढ़ती अपने मजदूरों को किराये के कमरों में रखते थे और सीजन के बाद मजदूरों के लौटने पर कमरे भी खाली कर देते थे। इस बार कोरोना संकट के कारण बाहरी राज्यों से आए मजदूरों को मंडी में ही शैडों में रखा जा रहा है।

परवाणू में सेब सीजन के दौरान जहाँ तहां फेंके जाने वाले रोटन एप्पल को ठिकाने लगाने की समय रहते व्यवस्था करवाने के लिए नगर परिषद परवाणू ने सहायक आयुक्त परवाणू डॉ विक्रमजीत सिंह को पत्र भेजा है। पत्र में सेब सीजन से पहले गले सड़े सेबों को डिस्पोज ऑफ करने के लिए उपयुक्त व्यवस्था करवाने की गुहार लगाईं गई है ताकि सेब सीजन के दौरान लोगो को गंदगी व दुर्गन्ध से मुश्किलों का सामना ना करना पड़े।

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