लद्दाख में चीनी सीमा तक सबसे ऊंची रेल लाइन बिछा रहा है भारत

चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए रेलवे ने लेह-लद्दाख तक ट्रैक बिछाने की योजना को गति दे दी है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दुनिया की सबसे ऊंची बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन परियोजना के प्राथमिक भू सर्वेक्षण का काम पूरा करने के बाद 1500 किलोमीटर रेल सेक्शन की लेवलिंग का काम पूरा हो गया है। बिलासपुर से लेह टाउन के बीच 475 किलोमीटर लंबी ब्रॉडगेज पटरी बिछाने का काम भी शुरू हो गया है।
इस रेल लाइन के निर्माण की अनुमानित लागत 68,000 करोड़ रुपये है। इस ट्रैक पर 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी। पुल, सुरंग, स्टेशनों के महत्वपूर्ण स्थानों पर 184 कंट्रोल प्वाइंटों वाले 89 स्थानों की पहचान की गई है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक राजीव चौधरी ने कहा, किसी भी सर्वेक्षण में लेवलिंग का मुख्य उद्देश्य निर्धारित प्वाइंटों के एलिवेशन का पता लगाना है। रेलवे ने निर्माण के दौरान तकनीकी सहायता के लिए एक परामर्श समूह का गठन किया है।
इसमें भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून, राष्ट्रीय शिला यांत्रिकी संस्थान बंगलूरू, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, हिम व अवधाव अध्ययन संस्थान से डोमेन के विशेषज्ञ शामिल हैं। चीन अगर अरुणाचल प्रदेश तक रेल ट्रैक बिछा रहा है तो भारत भी पीछे नहीं है। चीन सीमा तक भारत दुनिया की सबसे ऊंची रेल लाइन का निर्माण कर रहा है। इसका खास रणनीतिक महत्व लेह में है।
31 स्टेशनों वाली रेल लाइन बिलासपुर, सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलांग, कोकसर, डारचा, सरचु, पंग, देबरिंग, उपशी और खारूटो लेह के पहाड़ी इलाकों तक संपर्क बनाएगी। इसका 51 प्रतिशत यानी 238 किलोमीटर मार्ग सुरंगों से गुजरेगा। सबसे लंबी सुरंग 13.5 किलोमीटर होगी। इस मार्ग पर 110 बड़े पुल बनाए जाने की योजना है, जिनकी कुल लंबाई 23 किलोमीटर होगी।
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