अपनी कमाई से 38 किमी सड़क बनाने वाले लद्दाख के मांझी की लाहौल स्पीति में भी हो रही है सराहना

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के जनजातीय क्षेत्र जंस्कार के बुजुर्ग लामा त्सुलटिम छोंजोर ने अपनी मेहनत और कमाई से पहाड़ काटकर 38 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई। सड़क बनने के बाद लामा त्सुलटिम छोंजोर को लोग मांझी कहने लगे। अब लामा की हिमाचल की लाहौल स्पीति घाटी सहित आसपास के राज्यों में भी सराहना हो रही है। 70 साल के इस व्यक्ति की चारों और तारिफ हो रही है। इन्होंने पहाड़ काटने की लिए जो मशीनरी खरीदी थी वो अपने घर और जमीन को बेचने के बाद में खरीदी थी। यह मशीनरी उस समय 57 लाख रूपये की आई थी।
आपको बता दें की जब वह इस सड़क पर पहली बार जीप लेकर करग्या गांव पहुंचे थे तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। ग्रामीणों ने कहा था कि ये हमारे मांझी हैं। हिमालयी क्षेत्र के दशरथ मांझी कहलाए जाने वाले केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के जनजातीय क्षेत्र जंस्कार के बुजुर्ग लामा त्सुलटिम छोंजोर को पद्मश्री से अलंकृत किए जाने से जंस्कार घाटी में खुशी की लहर है तो हिमाचल में भी जश्न का माहौल है। दारचा से शिंकुला दर्रा होकर गुजरने वाली इस सड़क को लेह लद्दाख के कारगिल जिले के उपमंडल जंस्कार के पहले गांव करग्या तक बनाया गया है।
आपको बता दें, आजादी के कई साल बाद तक जब जंस्कार घाटी सड़क से वंचित रह गई तो लामा त्सुलटिम छोंजोर ने वर्ष 2014 में खुद ही इसके लिए पहल की। इसके लिए उन्हें अपनी जमीन और संपत्ति तक बेचनी पड़ी। शुरुआती दिनों में लोग लामा के कार्य को मजाक में लेने लगे, लेकिन जब लामा त्सुलटिम छोंजोर ने अपने सीमित संसाधनों से दारचा से शिंकुला की ओर ट्रैक तैयार कर लिया तो सभी हैरान रह गए। लामा त्सुलटिम छोंजोर बिना किसी की मदद के अपने सपनों को साकार करने में जुटे रहे।
बीआरओ ने भी जंस्कार घाटी को लाहुल से जोड़ने के लिए शिंकुला र्दे से सड़क बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। बॉर्डर रोड टास्क फोर्स (बीआरटीएफ) के तत्कालीन कमांडर एसके दून ने लामा त्सुलटिम छोंजोर के कार्य को सराहा और सड़क निर्माण शुरू किया। लाहुल की ओर जब बीआरओ शिंकुला पहुंच गया तब भी लामा त्सुलटिम छोंजोर ने जंस्कार की तरफ से सड़क निर्माण का कार्य जारी रखा।
लाहुल स्पीति प्रशासन ने 15 अगस्त 2016 को केलंग में लामा त्सुलटिम छोंजोर को सम्मानित किया था। वर्ष 2016 में बीआरओ के कमांडर कर्नल केपी राजेंद्रा ने भी लामा को शिंकुला में सम्मानित किया था। इस सिद्ध कर्मयोगी को पद्मश्री सम्मान मिलना जनजातीय जिला लाहुल स्पीति और जांस्कर व लद्दाख के लिए गौरव का विषय है।
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