कोरोना की मार: कर्जदार हुए कई प्राइवेट बस ऑपरेटर, 150 बसें उठा ले गई फाइनेंस कंपनियां

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कोरोना काल की दूसरी लहर ने ट्रांसपोटर्स (Transporters) को कर्जदार बना दिया है। हालत यह हो गए है कि बिना काम के ट्रासपोटरों को बैंक (Bank) की किस्तें चुकाना मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं, राज्य में करीब 150 प्राइवेट बस ऑपरेटर (Private Bus Operator) ऐसे बताए जा रहे है, जिनके किस्त न चुकाने पर फाइनांस कंपनियां उनकी बसें उठा कर ले गई। वहीं, अन्य ऑपरेटर्स को भी आर्थिक तगंहाली का सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में छह मई से कोरोना कर्फ्यू बदिशें (Curfew Badisheen) लगी हुई हैं। बंदिशों के चलते राज्य में बसों का संचालन पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। सभी बसें खड़ी हैं। काम न होने के चलते ऑपरेटर्ज को बैंक की किस्त चुकाना मुश्किल हो गया है। बीते साल की बात करें तो राज्य में कोरोना सक्रंमण के बढ़ने से मार्च माह में लॉकडाउन लगा दिया गया था। इसके बाद बसों का संचालन शुरू किया गया, मगर निजी बस ऑपरेटर्ज की मानें तो रूटों पर सवारियां कम होने से उन्हें रोजाना घाटे का सामना करना पड़ा था।
दूसरी लहर के दौरान फिर से बंदिशे लगने से ऑपरेटर्स को बैंक की किस्तें चुकाना मुश्किल हो गया था। बैंक किस्त न चुकाने पर फाइनांस कंपनियां अब बसें जब्त करने में लगी हैं। हिमाचल प्रदेश प्राइवेट बस ऑपरेटर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि कोरोना सभी ऑपरेटर्स को कर्जदार बना दिया है। कई ऑपरेटर ऐसे भी हैं कि जिनके द्वारा किस्त न चुकाने पर फाइनांस कंपनियां उनकी बसें जब्त कर ले गई हैं।
वहीं राजेश पराशर ने कहा कि राज्य में करीब 150 ऑपरेटर ऐसे हैं, जिनके द्वारा किस्त न चुकाने पर फाइनांस कंपनियां उनकी बसें उठा कर ले गई हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने ऑपरेटर्स की कमर तोड़ कर रख दी है। बसों के खड़े होने से ऑपरेटर्स को घर का खर्च चलाने के लिए बाजारों में सब्जियां व फल बेचने पड़ रहे हैं। राज्य सरकार की नजरअंदाजी के चलते ऑपरेटर्स को भारी परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है।
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