लाहौल स्पीति में हुई लैंडस्लाइड वाली जगह का एनडीआरएफ की सुयंक्त टीम ने किया निरीक्षण, कही ये बड़ी बात

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के लाहौल घाटी (Lahaul Valley) में भारी बारिश के चलते 13 अगस्त को हुए भूस्खलन की जगह पर जल आयोग और एनडीआरएफ (NDRF) की संयुक्त टीम ने निरीक्षण किया है। निरीक्षण (Inspection) में पाया गया कि हादसे वाली जगह पर पानी ने निकलने के लिए अपना रास्ता बना लिया है। जिस जगह पर हादसा हुआ था। वहां अब कोई खतरा नहीं है। निरीक्षण टीम (Inspection Team) में केंद्रीय जल आयोग के निदेशक एनएन राय, केंद्रीय जल आयोग के शिमला स्थित निदेशक पीयूष रंजन, भारतीय सेना के कर्नल अरुण व सहायक आयुक्त डा.रोहित शर्मा के अलावा एनडीआरएफ के अधिकारी शामिल रहे।
वहीं लाहौल-स्पीति के डीसी नीरज कुमार ने बताया कि टीम ने शुरुआती निरीक्षण में यह पाया है कि भू-स्खलन के बाद चंद्रभागा नदी में जो मलबा गिरा था उसमें से 50 फीसदी मलबा पानी के बहाव के साथ बह चुका है। इसके अलावा भू-स्खलन वाली जगह पर मलबे का 20 मीटर चौड़ा और 50 मीटर लंबा नेचुरल बैंच बन गया है। अब अगर कोई मलवा पहाड़ ने नीचे गिरता है तो वह इस बैंच पर ही रूक जाएगा जिससे किसी हादसे की कोई गुंजाइस नहीं रहेगी।
डीसी नीरज कुमार ने बताया कि लैंडस्लाइड वाली जगह का इसरो के सेटेलाइट डाटा से भी अध्ययन किया जा रहा है। फिलहाल भू-स्खलन वाली जगह पर 14 अगस्त की सेटेलाइट इमेज के तुलनात्मक अध्ययन में कोई बदलाव नजर नहीं आया है। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की टीम मंगलवार को फिर एक बार मौके पर जाकर जांच करेगी। उपायुक्त ने कहा कि फिलहाल खतरे की कोई आशंका नहीं है। यदि परिस्थिति में कोई अचानक बदलाव आता भी है, तो जिला प्रशासन इस कार्य योजना के तहत नदी के किनारे वाले रिहायशी इलाके से लोगों को सुरक्षित जगह पर योजना के अनुसार अस्थायी पुनर्वास करेगा। वहीं निरीक्षण के दौरान देखा गया कि वहां पर किसानों की फसल को भी अब कोई नुकसान नहीं होगा।
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