Sunday Special: हिमाचल प्रदेश के टॉप 10 मंदिरों के नाम और स्थान जानने के लिए पढ़ें ये खबर...

Sunday Special: हिमाचल प्रदेश के टॉप 10 मंदिरों के नाम और स्थान जानने के लिए पढ़ें ये खबर...
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Sunday Special: हिमाचल प्रदेश में देवी देवताओं के 2000 के करीब मंदिर हैं। देखा जाए तो प्रदेश के हर गांव में एक मंदिर है।

Sunday Special: हिमाचल प्रदेश में देवी देवताओं के 2000 के करीब मंदिर हैं। देखा जाए तो प्रदेश के हर गांव में एक मंदिर है। अधिक मंदिर होने के कारण इस प्रदेश को देवभूमि भी माना जाता है। खास बात यह है कि हिमाचल प्रदेश में ऐसा कोई भी उत्सव नहीं होता जिसमें स्थानीय देवी देवताओं के बिना कोई कार्य पूरा हो। देवता उस स्थान में पालकी में आते हैं अस्वस्थ व्यक्ति से लेकर जमीनी विवाद तक को देवी देवता बड़ी ही आसानी से निपटा लेते हैं। अकसर लोग प्रदेश में मंदिर या अन्य टूरिस्ट पलैसों पर घुमने के लिए यहां आते है। प्रदेश के ऐसे ही टॉप 10 मंदिरों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।


बिलासपुर का नैना देवी मंदिर

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सबसे प्रसिद्ध मंदिर नैना देवी का है। यह मंदिर इस जिले की सुन्दर पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर उन 51 शक्तिपीठों से सम्बंधित है जहाँ माँ सती के नैन गिरे थे। यहाँ धार्मिक श्रद्धालु और तीर्थयात्री पूरा वर्ष भर आते रहते हैं। इस पवित्र मंदिर में यात्रा करने का महत्वपूर्ण समय चैत्र और अश्विन नवरात्रे और श्रावण अष्टमी के बीच का है। बता दें कि अभी मां के नवरात्रे समाप्त हुए हैं। नवरात्रों में इस मंदिर में भारी भीड देखने को मिली थी।


कांगड़ा का ज्वालामुखी मंदिर

प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वालामुखी मंदिर प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माँ की जलती हुई नीली ज्वाला के कारण प्रसिद्ध है जोकि चट्टानों से निकलती है। इन चट्टानों की दरारों में से ज्वाला हर समय निकलती रहती है। यह मंदिर काली धार के नाम से भी जाना जाता है। उस समय के सम्राट अकबर ने इस ज्वाला को बुझाने के कई प्रयास किये लेकिन वह असफल रहा था।


कांगड़ा का चामुण्डा देवी मंदिर

कांगड़ा में चामुण्डा माँ का मंदिर भी प्रसिद्ध है। प्राचीन मंदिर जोकि बनेर नदी के साथ 16वीं सदी में बना है। माँ चामुण्डा माँ दुर्गा का ही रूप है। यह मंदिर शिव शक्ति के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इस मंदिर को चामुण्डा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।


कांगड़ा का शिव मंदिर

भगवान शिव का यह मंदिर कांगड़ा जिले के बैजनाथ में स्थित है। इसकी दीवारों में की गई पत्थरनुमा नक्काशी से पता चलता है कि इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण दो व्यापारियों मानुक्या और आहुका ने किया था। वर्तमान मंदिर की जगह में पहले ही भगवान शिव का पुराना मंदिर बना हुआ था। जिला कांगड़ा के बैजनाथ में स्थित है भगवान शिव मंदिर। इसकी दीवारों में की गई पत्थरनुमा नक्काशी से पता चलता है कि इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण दो व्यापारियों मानुक्या और आहुका ने किया था। वर्तमान मंदिर की जगह में पहले ही भगवान शिव का पुराना मंदिर बना हुआ था। यह मंदिर कांगड़ा घटी से 30 किलोमीटर दूर है तथा पालमपुर या मंडी से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।


कांगड़ा जिले का ब्रजेश्वरी मंदिर

यह मंदिर कांगड़ा जिले के बीचों बीच स्थित है। बता दें कि इस मंदिर में सैलानी अधिक संख्या में घुमने जाते हैं। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह एक शक्ति पीठ है जहा माँ सती का बायां वक्षस्थल गिरा था। इसलिए इसे स्तनपीठ भी कहा गया है और स्तनपीठ भी अधिष्ठात्री वज्रेश्वरी देवी है। स्तनभाग गिरने पर वह शक्ति जिस रूप में प्रकट हुई वह वज्रेश्वरी कहलाती है। तथा एक महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर भारत के आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को कई बार लगातार लूटा था।


पर्यटन नगरी का हिडिम्बा मंदिर

प्रदेश की पर्यटन नगरी मनाली में स्थित हिडिम्बा मंदिर को पर्यटक खुब पसंद करते हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर भीम की पत्नी को समर्पित है। पांडव भीम और हिडिम्बा ने शादी के बाद यहाँ कई वर्ष गुज़ारे थे। यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर को कई बार इसके स्वरूप के कारण ढुंगरी के नाम से भी जाना जाता है।


चंबा जिले में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर

लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रदेश में चंबा जिले में स्थित है। इस मंदिर में हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया तथा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण राजा साहिल वर्मा ने बनाया था। किवदंती के अनुसार राजा ने अपने पुत्रों को पर्वत से संगमरमर के पत्थरों की खोज में भेजा था ताकि भगवन विष्णु की मूर्ति बना सके। यद्यपि राजा के पुत्र संगमरमर के पत्थर ढूंढ लाए लेकिन राजा ने देखा कि सभी पत्थर खराब थे तथा उनके ऊपर मेंढक बेठे हुए थे। गुस्से में राजा साहिल वर्मन ने अपने 8 बेटों को दोबारा पहले से बेहतर संगमरमर के पत्थर लाने को कहा लेकिन वापसी में सब के सब मारे गये। तब राजा ने अपने सबसे बड़े बेटे को पत्थर लाने को कहा तथा बड़े बेटे ने आक्रमणकारियों को मार दिया तथा एक संत ने उसकी सहायता की तथा पत्थर लाने में कामयाब हो गया।


शिमला का जाखू मंदिर

यह मंदिर प्रदेश की राजधानी शिमला से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जाखू मंदिर पर आप सीधे सीढ़ियों के द्वारा भी वहां पहुँच सकते हैं। इस मंदिर की ऊँचाई समुन्द्र तल से 8500 फीट की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर के पीछे कई किवदंतियां भी हैं। यह मंदिर एक साधू याकू ने बनाया था जोकि हनुमान का भक्त था। याकू के नाम पर ही जाखू नाम पड़ा। हिमाचल के प्रसिद्ध पर्यटन शिमला में स्थित है जाखू मंदिर। यह मंदिर हनुमान को समर्पित है तथा जाखू घाटी में स्थित है। हर वर्ष यहाँ हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।


शिमला का तारा देवी मंदिर

तारा देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित है। यह मंदिर शिमला शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर कालका शिमला एनएच हाइवे पर स्थित है। यह मंदिर सुन्दर वनों से ढकी पहाड़ी में स्थित है। यह स्थान एकांत वातावरण से घिरा हुआ है। यह मंदिर 250 साल पुराना है। मान्यता के अनुसार तारा देवी को पश्चिम बंगाल से सेन साम्राज्य का राजा लाया था। बाद में राजा भूपेन्द्र सेन ने इस मंदिर को लकड़ी और वैष्णव तरीके से तैयार करवाया था। सेन साम्राज्य के सभी उतराधिकारी यहाँ पूजा अर्चना करते थे। शरद नवरात्रों में वे यहाँ माँ तारा देवी की पूजा करने आते थे।


ऊना जिले का चिंतपूर्णी मंदिर

चिंतपूर्णी माँ का मंदिर ऊना जिले में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता सबसे अधिक है। आपको बता दें कि चिंतपूर्णी मां के दर्शन के लिए लोग पागल रहते हैं। जो पर्यटक हिमाचल घुमने के लिए जाते हैं। वो चिंतपूर्णी मंदिर के माथा टेकने जरूर जाते हैं। बता दें कि चिंतपूर्णी का अर्थ है सबकी चिंता दूर करने वाली। यह मंदिर भी 51 शक्तिपीठों में जाना जाता है। इस मंदिर को छिन्मस्तिका धाम के नाम से भी जाना जाता है। जो भी श्रद्धालु यहाँ आते हैं उन सबकी मनोकामना की पूर्ति होती है।

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