हिमाचल के 15वें CM बने सुखविंदर सिंह सुक्खू, एक ही फैसले से राज परिवार का वर्चस्व हुआ खत्म, सामने हैं ये कई बड़ी चुनौतियां

कांग्रेस विधायक दल के नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) ने आज शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं उनके साथ कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली। इस दौरान शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहित तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
शपथ ग्रहण समारोह से पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू (Chief Minister Sukhwinder Singh Sukhu) ने प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की। प्रतिभा सिंह से मुलाकात के बाद सुक्खू ने कहा कि प्रतिभा सिंह राज्य में पार्टी की प्रमुख हैं। सभी उनके मार्गदर्शन में काम करते हैं। इसलिए वे उन्हें शपथ ग्रहण का न्योता देने पहुंचे। वहीं कांग्रेस आलाकमान ने विधानसभा में कांग्रेस की 40 सीटों पर जीत हासिल करने के बाद हिमाचल में वीरभद्र सिंह के राज परिवार का वर्चस्व खत्म करने का फैसला लेकर कांग्रेस पार्टी ने राजनीति में एक नई मिसाल कायम की है।
सीएम के नाम की चर्चाओं के बीच कांग्रेस आलाकमान (Congress High Command) ने मुख्यमंत्री पद के लिए प्रतिभा सिंह के दावे को खारिज कर दिया और अपने खेमे के मुकेश अग्निहोत्री को भी इस पद पर नहीं बैठने दिया। इस फैसले का असर देश भर में जाएगा और जहां-जहां चंद परिवारों ने कांग्रेस पर अपना कब्जा कर रखा है। वहां-वहां पार्टी को इन परिवारों से मुक्ति दिलाने में मदद मिलेगी। जानकारी के लिए बता दें कांग्रेस पार्टी ने यह प्रयोग हिमाचल से पहले पंजाब में किया था। जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था।
एक ही फैसले से प्रदेश के नौकरशाही भी हुए मुक्त
कई सालों बाद कांग्रेस आलाकमान के एक फैसले से प्रदेश की नौकरशाही भी कांग्रेस के दबाव से मुक्त हो गई है। 12 नवंबर को हुए मतदान के बाद जब नौकरशाही को लगा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आ सकती है और अगली सरकार में हल्लीज का कांग्रेस का दबदबा कायम रहेगा, तब नौकरशाहों ने हल्लीज के दरबार में हाजिरी भरनी शुरू कर दी। कांग्रेस की सरकारें जब सत्ता में आती थीं तो चंद नौकरशाह ही होते थे, जो सालों तक अहम पदों पर कब्जा जमा लिया करते थे। बाकी नौकरशाह या तो केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले जाते थे या फिर काबिलियत होने के बावजूद बेहतर पदों के लिए तरसते रहते थे। यह सब 1983 से चला आ रहा था। इसको खत्म करने के लिए कांग्रेस के आलाकमान ने ये बड़ा फैसला लिया। जिसके बाद दरबार का यह सिलसिला अब खत्म हो गया है।
क्या है वीरभद्र सिंह के राज का वर्चस्व
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 1983 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर को हटाकर मुख्यमंत्री बनाया गया, तब से लेकर 2021 तक उन्होंने न आलाकमान की परवाह की और न ही संगठन की। उन्होंने संगठन के साथ-साथ कांग्रेस को भी अपने नियंत्रण में रखा। और राज्य में किसी को उभरने नहीं दिया। जिस भी नेता ने अपने बराबरी पर उभरने की कोशिश की, उसे राजनीतिक तौर पर जमीन पर ला दिया।
वीरभद्र सिंह राज का वर्चस्व खत्म होने के बाद सुक्खू सरकार पर पड़ेगा प्रभाव, सामने हैं कई चुनौतियां
सुक्खू के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही हालीलाज कांग्रेस का सरकार पर वर्चस्व खत्म हो गया है, लेकिन सरकार और संगठन में अब भी दखल रहेगा। ऐसे में सुक्खू के लिए बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के भीतर की चुनौतियां सामने खड़ी हैं। यह तय है कि भाजपा ऑपरेशन लोटस जैसा अभियान चला सकती है लेकिन हिमाचल में शायद ही सफल हो। ऐसे में सुक्खू को पार्टी के भीतर चुनौतियों से निपटने के लिए अलग बिसात बिछानी होगी. कांग्रेस के भीतर से जिस तरह की चुनौतियां उभर सकती हैं, उसका असर राजधानी में हो रही नारेबाजी में भी दिख रहा है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS