बागबान परिवारों का रोजगार संकट में, बगीचों को बीमारियों ने जकड़ा

हिमाचल में सेब के बगीचों को बीमारियों ने जकड़ लिया है। अब आलम यह है कि बागवानों को कीटनाशक दवाइयां नहीं मिल रही हैं। प्रदेश में सेब के बागीचों मे स्कैब, माइट व असामायिक पतझड़ जैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। कई बागीचों को सेब की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई है। अब इसके प्रकोप से पेड़ों को नुकसान पहुंचना शुरू हो गया है। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो बागबानी पर बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। सीपीआईएम ने राज्य सरकार से मांग उठाई है कि इन बीमारियों की रोकथाम के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए और बागबानी विश्विद्यालय व विभाग के विशेषज्ञों की टीमें इन प्रभावित बागीचों में भेजे।
इसके साथ-साथ इन बीमारियों की रोकथाम के लिए आवश्यक फफूंदीनाशक, कीटनाशक व अन्य साधन बागबानी विभाग के केंद्रों के माध्यम से उपदान पर उचित मात्रा में उपलब्ध करवाए जाएं और स्कैब ग्रसित सेब के लिए सरकार उचित खरीद मूल्य तय कर इसे बागबानों से खरीद कर राहत प्रदान करें। सीपीआईएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य संजय चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व में भी सरकार से इन बीमारियों की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने के लिए मांग की गई थी, परंतु सरकार बागबानों की इन समस्याओं के प्रति गंभीर दिखाई नहीं दे रही है।
यदि सरकार समय रहते इन बीमारियों की रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाती है तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली 5000 करोड़ रुपए की सेब की आर्थिकी बर्बाद हो जाएगी और लाखों बागबान परिवारों पर रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि माकपा सरकार के इस उदासीन रवैये के प्रति और सरकार से इन मांगों पर अमल करवाने के लिए 26 अगस्त को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगी। संजय चौहान ने कहा कि प्रदेश के सभी सेब उत्पादक जिलों शिमला, मंडी, कुल्लू, किन्नौर व चंबा में सेब के अधिकांश बागीचों में इन बीमारियों का प्रकोप बड़े पैमाने पर देखने को मिल रहा है।
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