प्राइवेट केब की तरह चलेगी 108 एंबुलेंस, किराया देकर निजी अस्पताल में इलाज करा सकेंगे मरीज

प्राइवेट केब की तरह चलेगी 108 एंबुलेंस, किराया देकर निजी अस्पताल में इलाज करा सकेंगे मरीज
X
एनएचएम ने इस संबंध में कंपनियों से प्रस्ताव बुला लिए हैं। ट्रिप पूरी होने के बाद मरीजों से लिया जाएगा फीडबैक। व्यवस्था में बदलाव कर रिस्पांस टाइम (मरीज तक पहुंचने का समय) कम किया जा रहा है। दो-तीन माह में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।

भोपाल। अब आपको बीमार होने पर अस्पताल जाने के लिए एंबुलेंस का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। प्रायवेट कैब की तर्ज पर अब प्रदेश भर में 108 एंबुलेंस, जननी एक्सप्रेस वाहनों का संचालन किया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था में बदलाव कर रिस्पांस टाइम (मरीज तक पहुंचने का समय) कम किया जा रहा है। इसके लिए एंबुलेंस व्हीकल्स की संख्या 1446 से बढ़ाकर 2082 की जाएगी। अब 108 एंबुलेंस से मरीज तय हिसाब से किराया अदा कर प्रायवेट अस्पतालों में भी जा सकेंगे। इसके लिए एक एप भी शुरू किया जाएगा। इसके जरिए जरूरत के समय एंबुलेंस बुलाई जा सकेगी। एनएचएम ने कंपनियों से प्रस्ताव बुलाए हैं। इसके बाद टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद लगभग दो तीन महीनों में ये व्यवस्था शुरू हो जाएगी।

एंबुलेंस क्रू मेंबर्स देखेगी कॉलर की लोकेशन

नई एंबुलेंस सेवा को कई एडवांस तकनीक से लैस किया जाएगा। इसमें लोकेशन बेस्ड़ सर्विस (एलबीएस) सिस्टम लगाया जाएगा। इसमें एंबुलेंस कंट्रोल रूम पर फोन करने वाले कॉलर की लोकेशन एंबुलेंस वाहन में लगी मोबाइल डाटा टर्मिनल (एमडीटी) डिवाइस में दिखने लगेगी। इससे घायल मरीज की लोकेशन तक पहुंचने में एंबुलेंस क्रू मेंबर्स को आसानी होगी। यही नहीं फोन कर मदद मांगने वाले कॉलर को भी निजी कैब की तरह एंबुलेंस की मूवमेंट दिखेगी। कॉल असाइन होने के बाद जब तक एंबुलेंस रवाना नहीं होगी तब तक उसके पास रिमांडर जाता रहेगा। इससे समय पर मरीजों को एंबुलेंस मिल सकेगी।

ट्रिप पूरी होने के बाद लिया जाएगा हर मरीज से फीडबैक

108 एंबुलेंस के जरिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की ट्रिप पूरी होने के बाद कॉल सेंटर से कम्प्यूटराइज्ड फीडबैक लिया जाएगा। यदि मरीज द्वारा सेवा में किसी प्रकार का असंतोष जाहिर किया तो कॉल सेंटर के अधिकारी खुद बात करके उसकी शिकायत पर कार्रवाई करेंगे।

सरकारी अस्पताल जाने की बाध्यता होगी खत्म

मौजूदा समय में 108 एंबुलेंस किसी भी मरीज को लेकर सरकारी अस्पताल में ही छोड़ती है। इस कारण कई बार सड़क हादसों के घायलों को सरकारी अस्पताल पहुंचने में समय लग जाता है। लेकिन अब इस बंधन से भी छूट मिल सकेगी। एक्सीडेंट केस सहित जिन मामलों में मरीज निजी अस्पताल जाना चाहता है उसे एंबुलेंस नजदीकी निजी अस्पताल में जा सकेंगे। आर्थिक रूप से संपन्न लोग स्वेच्छा से निर्धारित किराया अदा कर निजी अस्पताल जा सकेंगे। हालांकि इनमें एक्सीडेंट में हेड इंजुरी केस, आयुष्मान कार्ड धारी मरीज ही निजी अस्पताल में जा सकेंगे। इनसे और सरकारी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा।

बनेगा सिटीजन मॉड्यूल एप

अब तक एंबुलेंस वाहन की जरूरत पड़ने पर 108 कॉल सेंटर पर फोन करना पड़ता है। इसमें फोन करने के बाद एंबुलेंस कई बार देर से पहुंच पाती है। इसमें सुधार लाने के लिए अब आम लोगों के लिए एक एप (सिटीजन माड्यूल एप) तैयार कराया जाएगा। जिसमें प्रायवेट कैब की तरह एप से एंबुलेंस बुक कर सकेंगे। बुकिंग प्रोसेस पूरी होने के बाद एंबुलेंस के पहुंचने तक की लोकेशन दिखती रहेगी। इसमें मरीज की कंडीशन दर्ज करने पर उसके इलाज से संबंधित नजदीकी सरकारी और प्रायवेट अस्पताल दिखेंगे। मरीज स्वेच्छा से जहां चाहे एडमिट हो सकेगा।

डॉक्टर प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ भोपाल

Tags

Next Story