छह महीने में भोपाल में 114 गर्भवतियों और प्रसूताओं की मौतें, सुल्तानियां पर बढ़ रहा दूसरे जिलों के रेफरल केस का दबाव

छह महीने में भोपाल में 114 गर्भवतियों और प्रसूताओं की मौतें, सुल्तानियां पर बढ़ रहा दूसरे जिलों के रेफरल केस का दबाव
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नवजातों और प्रसूताओं की मौतों के मामले राजधानी भोपाल में लगातार बढ़ रहे हैं। एक अप्रैल से लेकर 27 सितंबर तक प्रदेश में 936 मेटरनल डेथ (मातृ मृत्यु) दर्ज हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 114 गर्भवतियों और प्रसूताओं की मौत भोपाल में दर्ज की गई है। करीब नौ जिलों से भोपाल के सुल्तानियां अस्पताल में रेफर होकर आने वाली गर्भवतियों की संख्या भी बढ़ रही है।

भोपाल। नवजातों और प्रसूताओं की मौतों के मामले राजधानी भोपाल (bhopal) में लगातार बढ़ रहे हैं। एक अप्रैल से लेकर 27 सितंबर तक प्रदेश में 936 मेटरनल डेथ (मातृ मृत्यु) दर्ज हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा 114 गर्भवतियों और प्रसूताओं की मौत भोपाल में दर्ज की गई है। करीब नौ जिलों से भोपाल के सुल्तानियां अस्पताल में रेफर होकर आने वाली गर्भवतियों की संख्या भी बढ़ रही है। भोपाल के ही विभिन्न अस्पतालों से अगस्त तक करीब दो सौ गर्भवतियों को रेफर कर सुल्तानियां में भर्ती कराया गया है। राजधानी में हुई महिलाओं की मौतें इसलिए चिंताजनक हैं क्योंकि एनएचएम की मातृत्व स्वास्थ्य शाखा के अनुसार इन छह महीनों में 49 महिलाओं की मौतें संभावित थीं इसके उलट यहां 233% मेटरनल डेथ हुई हैं। हालांकि, भोपाल के बाद इंदौर की हालत भी चिंताजनक है यहां प्रोबेबल डेथ के विरूद्ध 106 फीसदी महिलाओं की मौतें हुई हैं। ये जानकारी एनएचएम की मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा में सामने आई है।

जिलों से मेडिकल कॉलेजों को रेफर किए गए केस

गांधी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित सुल्तानियां अस्पताल में बीते अगस्त तक भोपाल जिले के ही अस्पतालों से 206 महिलाओं को रेफर कर भर्ती कराया गया। जबकि रायसेन से 110, राजगढ़ से 96, सीहोर से 52, होशंगाबाद से 48, विदिशा से 35, हरदा से 29, गुना से 21 और बैतूल से रेफर की गई 16 गर्भवती महिलाओं को भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के सुल्तानियां अस्पताल में भर्ती किया गया।

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