15 पुलिस जवान शहीद हुए इस साल मध्यप्रदेश में, लेह लद्दाख का हॉट स्प्रिंग्स करता है पुलिस का शौर्यगान

15 पुलिस जवान शहीद हुए इस साल मध्यप्रदेश में, लेह लद्दाख का हॉट स्प्रिंग्स करता है पुलिस का शौर्यगान
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शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस पर। इस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे राज्यपाल मंगूभाई पटेल। इस समारोह में वर्ष 1959 के शहीद 10 पुलिस जवानों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। पुलिस स्मृति दिवस परेड की फुल ड्रेस फायनल रिहर्सल 19 अक्टूबर को।

भोपाल। वर्ष 1959 में 21 अक्टूबर को भारत चीन बॉर्डर पर लेह-लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स पर भारत के 10 जवान शहीद हुए। चीनी सेना से लोहा लेते हुए इन जवानों ने वीर गति प्राप्त की। इन सभी की याद में इस साल भी गुरुवार को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जा रहा है। जिसमें उन शहीद जवानों समेत इस वर्ष मध्यप्रदेश में कर्तव्यवेदी पर शहीद हुए 15 जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। इसकी तैयारी भोपाल में चल रही है। लाल परेड पर होने वाले इस समारोह में परेड निकाली जाएगी। जिसकी सलामी समारोह के मुख्य अतिथि मप्र के राज्यपाल मंगू भाई पटेल लेंगे। इस परेड की फाइनल रिहर्सल 19 अक्टूबर को की जाएगी। उधर लेह लद्दाख हॉट स्प्रिंग्स पर देश के शहीद जवानों को इस साल भारत भर के 30 पुलिस आॅफिसर्स के साथ जाकर वहां सलामी देकर लौटे वर्ष 1916 बैच के आईपीएस अगम जैन ने यात्रा संस्मरण में प्रेस को बताया कि लेह लद्दाख का हॉट स्प्रिंग्स करता है पुलिस का शौर्यगान करता है। वहां जाकर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

इस वर्ष मप्र के 15 जवान शहीद हुए :

पुलिस मुख्यालय भोपाल से जारी अधिकृत जानकारी में बताया गया कि मध्यप्रदेश में इस साल कर्तव्यवेदी पर प्रदेश के 15 पुलिस जवान शहीद हुए हैं। शहीद पुलिस कर्मचारियों में उप निरीक्षक चंदन लाल उइके, उप निरीक्षक शरद अग्रवाल, सहायक उप निरीक्षक राजेन्द्र शर्मा, सहायक उप निरीक्षक रमेश मेहरा, सहायक उप निरीक्षक श्यामलाल, सहायक उप निरीक्षक गोर्वधन सोलंकी, प्रधान आरक्षक रामप्रकाश, प्रधान आरक्षक सतेन्द्र अग्निहोत्री, प्रधान आरक्षक कालू तिवारी, प्रधान आरक्षक दिनेश चंद्र शर्मा, प्रधान आरक्षक भरत लाल चौहान, आरक्षक दीपक राजूरकर, आरक्षक राजकुमार यादव, आरक्षक सुरेश मुदिया व आरक्षक राजेश कुमार राजपूत शामिल हैं।

पुलिस का शौर्यगान करता शहीद स्मारक हॉट स्प्रिंग्स लेह-लद्दाख :

राज्यपाल के कर्तव्यस्थ परिसहाय अगम जैन, जो मप्र कैडर के 2016 बैच के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं, ने बताया कि पुलिस विभाग में भर्ती होने के पहले मुझे यह नहीं पता था कि 21 अक्टूबर को शहीद दिवस मनाया जाता है। कभी मौका ही नहीं लगा था पुलिस को करीब से जानने का। सभी की तरह मैं भी सोचता था पुलिस वालों की ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी। जब तक थाने की सीढ़ियां ना चढ़ना पड़े तब तक अपना सम्मान कायम है, लेकिन पिछले पांच सालों में जब से पुलिस विभाग में आया हूं, हर वर्ष 21 अक्टूबर को पुलिस के जांबाज शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पण की। तब भी 'शहीद दिवस 21 अक्टूबर को क्यों मनाते हैं' के उत्तर में सिर्फ इतना पता था कि कहीं भारत चीन बॉर्डर पर 1959 में हमारे पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।

लद्दाख जाने के लिए हुआ चयन :

आईपीएस जैन का लेह लद्दाख यात्रा पर जाने के लिए चयन भारत के गृह मंत्रालय से हुआ। फिर 15 दिन के इस कार्यक्रम की शुरूआत चंडीगढ़ से हुई। फिर लद्दाख में पैंगोंगत्सो झील से भी लगभग 150 किमी चलकर भारत चीन बॉर्डर पर स्थित हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

30 अधिकारियों ने चंडीगढ़ से 'हॉट स्प्रिंग्स' तक की यात्रा की :

आईपीएस जैन समेत 30 अधिकारियों ने चंडीगढ़ से 'हॉट स्प्रिंग्स' तक की यात्रा बस में प्रारंभ की। यात्रा के चौथे दिन हम कुल्लू, कीलोंग, सर्चू होते हुए लेह पहुंचे। वे सीधे हवाई जहाज से भी लेह पहुंच सकते थे, लेकिन बस में चार दिन और हर दिन पहाड़ों में औसतन दस घंटे यात्रा करने के पीछे तर्क था कि वे सब हिमालय को, वहां के भूगोल, तौर तरीकों को और पहाड़ों की ऊंचाई तक जाने की कठिनाई को थोड़ा अनुभव कर सकें।

1959 की उस घटना के प्रत्यक्षदर्शी से मिले :

आईपीएस जैन समेत सभी अधिकारी उस व्यक्ति से मिले जो 1959 की उस घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे। उस घटना के साक्षी सिर्फ तीन लोग ही अब बचे हैं। जिनमें से अन्य दो की तबियत ठीक नहीं थी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनकी टीम को फॉरवर्ड पोस्ट बनाने का काम सौंपा गया था और लेह से हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र तक वो लोग लगभग 45 दिन में पैदल चलते-चलते और सामान को खच्चरों की सहायता से लेकर पहुंचे थे। अक्टूबर चढ़ता जा रहा था, ठंड बढ़ती जा रही थी और तब आज के जैसे कैंप-टेंट की सुविधा न होने से, जहां तक गांव थे वहां तक गांव वालों की सहायता लेकर और उसके बाद खुले आसमान तले कंबल ओढ़ कर सोते थे।

हॉट स्प्रिंग्स नाम इसलिए कि वहां गर्म पानी का एक छोटा सा स्रोत है :

जहां ठंड ही ठंड है, पहाड़ों पर बर्फ जमी है, वहां हॉट स्प्रिंग्स। यह नाम इसलिए है क्योंकि वहां गर्म पानी का एक छोटा सा स्रोत है, पर डेरा डाला और अगले दिन 21 अक्टूबर 1959 अधिकारी करम सिंह के नेतृत्व में हिंदुस्तानी टीम आगे बढ़ी। चीन की सेना ने ऊंचाई का फायदा उठाते हुए धोखेबाजी से हमला किया और वापस लौट जाने की धमकी दी, लेकिन भारत के जवान डटे रहे। इस मुकाबले में दस जवान शहीद हुए और करम सिंह सहित कुछ जवान बंदी बना लिए गए। करम सिंह के नाम पर वहां की एक पहाड़ी का नाम आज भी करम सिंह हिल है।

हॉट स्प्रिंग्स में दफनाया गया और शहीद स्मारक स्थापित किया :

कुछ दिनों बाद बंदियों और शहीदों के पार्थिव शरीर को चीन ने वापस लौटा दिया जिन्हें हॉट स्प्रिंग्स में दफनाया गया और शहीद स्मारक स्थापित किया गया।

यह तमन्ना :

आईपीएस जैन ने अंत में कहा - शायद कोई वर्ष ऐसा भी होगा जब पूरे वर्ष में एक भी पुलिसकर्मी की कर्तव्य वेदी पर शहादत नहीं होगी। जय हिन्द।

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