मुख्यमंत्री रोजगार योजना में 35 लाख का लिया लोन, रिकवरी करने पहुंचे बैंककर्मी इनकम टैक्स के आफिस

भोपाल - राजधानी में ठगी के मामले में जांच एजेंसी के पास हैरान करने वाला मामला पहुंचा। यह मामला सीधे इनकम टैक्स आफिस से जुड़ गया। हालांकि जांच के दौरान पाया गया कि आरोपी ने पता गलत दिया है। जिसके चलते बैककर्मियों को इनकम टैक्स आफिस के कई बार चक्कर लगाने पड़े। फिलहाल ईओडब्ल्यू ने यूनियन बैंक आफ इंडिया के बैंक मैनेजर, सीनियर लोन मैनेजर और चौहान ब्रदर्स पर ठगी के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है।
ईओडब्ल्यू के मुताबिक साल 2016 में आशोक गार्डन निवासी जितेंद्र चौहान ने 35 लाख रुपए के लोन के लिए आवेदन किया था। यूनियन बैंक के तत्कालीन बैंक मैनेजर रमेश कुमार से जीतेंद्र को जिला उद्योग केंद्र में मुख्यमंत्री रोजगार योजना के जरिए अनुमति के लिए भेज दिया। जिला उद्योग केंद्र से साल भर बाद अनुमति मिल गई। इस योजना के जरिए बैंक ने 25 लाख रुपए मशीनरी के लिए दिया था। इसके अलावा 10 लाख रुपए सीसी लिमिट के लिए दिया गया था। जीतेंद्र ने अपने भाई की कंपनी 24 लाख 97 हजार रुपए का भुगतान कर दिया। जिस कंपनी को भुगतान किया गया, वह एसआर कंस्ट्रक्शन कंपनी निकेश चौहान की पाई गई। बाकी की रकम जीतेंद्र ने खुद के काम के लिए खर्च कर दी। साल 2019 में जीतेंद्र के बैंक खाते में रकम नहीं होने के चलते एनपीए घोषित कर दिया गया। इसके बाद बैंक ने जीतेंद्र की ट्रांजेक्शन हिस्ट्री को खंगाला तो पता चला कि निकेश ने फर्जी कंपनी बनाई थी। उस कंपनी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी फर्जी निकला। यह खुलासा बैंककर्मियों के कंपनी के पते पर पहुंचने के बाद हुआ। पते पर इनकम टैक्स का आफिस निकला। बैककर्मियों ने कई बार इनकम टैक्स आफिस में पूछताछ की, क्योंकि उन्होंने किसी कंपनी को आफिस दिया है या नहीं। इनकम टैक्स ने साफ इंकार कर दिया। इसके बाद यूनियन बैंक आफ इंडिया की ओर से इओडब्ल्यू को पत्र लिखकर फर्जीवाड़े की जानकारी दी गई।
बैंक की मिलीभगत से लगी लाखों की चपत
- ईओडब्ल्यू ने जांच में पाया कि जीतेंद्र चौहान ने नई फैक्ट्री लगाने के लिए फर्जी कोटेशन प्रस्तुत किया था। जिसे बैंक के तत्कालीन मैनेजर रमेश कुमार और सीनियर लोन मैनेजर पूनम गौतम ने पास कर दिया। ईओडब्ल्यू ने बताया कि बिना बैंककर्मियों की मिलीभगत लोन पास नहीं हो सकता था। जीतेंद्र ने 35 लाख रुपए का लोन पेविंग ब्लाक और ईट बनाने के लिए लिया था लेकिन न तो फैक्ट्री लगी और न ही बैंक को लोन की रकम मिली। इस मामले में 5 लोगों को धोखाधड़ी, साजिश व अन्य अपराधों की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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