चंबल प्रोग्रेस-वे के लिए 421 करोड़ की जमीन मुफ्त, CM बोले- 'बीहड़ व पिछड़े क्षेत्रों का होगा विकास'

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चंबल एक्सप्रेस-वे के बनने से प्रदेश के बीहड़ एवं पिछड़े क्षेत्र को औद्योगिक सेक्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। वे इस प्रोजेक्ट को चम्बल एक्सप्रेस-वे नहीं चम्बल प्रोग्रेस-वे के रूप में देखते हैं। यह सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसमें भारतमाला परियोजना के तहत 50 फीसदी भूमि नि:शुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है। मध्यप्रदेश सरकार इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 421 करोड़ की 100 फीसदी भूमि नि:शुल्क उपलब्ध करा रही है।
मुख्यमंत्री चौहान व केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शनिवार को चंबल एक्सप्रेस-वे पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मप्र सरकार आर्थिक सहयोग के रूप में मिट्टी एवं मुरम 330 करोड़ की रायल्टी के रूप में प्रदान करेगा और वन भूमि की अनुमतियों पर होने वाले व्यय के रूप में 30 करोड़ का व्यय भी स्वयं वहन करेगा। इस प्रकार राज्य शासन 781 करोड़ का सहयोग प्रदान करेगा।
औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित होगा चंबल
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि एक्सप्रेस वे प्रदेश में 309 किलोमीटर लंबा होगा। यह श्योपुर, मुरैना एवं भिण्ड से होते हुए राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश की सीमाओं को जोड़ेगा। यह मार्ग भिंड में गोल्डन क्वाट्रिलेट्रल (आगरा-कानपुर) मार्ग, मुरैना में नार्थ-साउथ कॉरीडोर एवं राजस्थान में दिल्ली मुम्बई कॉरीडोर से जोड़ा जाएगा। आवागमन का मार्ग सहज एवं सुविधाजनक होने से क्षेत्र को औद्योगिक निवेश प्राप्त होगा। राज्य शासन ने आर्थिक, औद्योगिक विकास के लिए रक्षा उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, भारी उद्योग, वेयर हाउसिंग, लॉजिस्टिक एवं ट्रांसपोर्ट उद्योग के रूप में विकसित किया जाएगा।
पिछड़े क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी
केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मुख्ममंत्री चौहान ने साल 2017 में भी की थी। एक्सप्रेस-वे के बनने से इस पिछड़े क्षेत्र के विकास में बहुत मदद मिलेगी। वीडियो कान्फ्रेंस में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चम्बल एक्सप्रेस-वे को भिण्ड-कोटा रेल्वे लाइन के साथ-साथ बनाने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि चम्बल एक्सप्रेस-वे के लिए हमारे पास 52 फीसदी सरकारी जमीन उपलब्ध है। इस प्रोजेक्ट के लिए शेष 48 फीसदी भूमि अदला-बदली मॉडल के तहत उपलब्ध कराई जाएगी। एलाइनमेंट होते ही यह जमीन निर्माण कार्य के लिए सौंप दी जाएगी। वीडियो कान्फ्रेंस में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS