निशातपुरा स्टेशन के विस्तार का 85 फीसद काम पूरा, शेष अगले महीने में पूरा करने का लक्ष्य

निशातपुरा स्टेशन के विस्तार का 85 फीसद काम पूरा, शेष अगले महीने में पूरा करने का लक्ष्य
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भोपाल रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर निशातपुरा स्टेशन है, जो कई वर्षों से छोटा स्टेशन है।

भोपाल। आने वाले दिनों में निशातपुरा रेलवे स्टेशन पर छह एक्सप्रेस व मेल ट्रेनें ठहराव लेकर चलने लगेंगी। इसके लिए स्टेशन का विस्तार किया जा रहा है। विस्तार का 85 फीसद काम पूरा हो गया है। बाकी का काम अगले महीने में पूरा करने की तैयारी है। यह भविष्य का जंक्शन स्टेशन बनेगा। यहां से बीना, भोपाल व उज्जैन की तरफ रेल मार्ग जाते हैं। शनिवार को भोपाल रेल मंडल प्रबंधक सौरभ बंदोपाध्याय ने निशातपुरा स्टेशन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने संबंधित अधिकारी को जल्द से जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए। इसके अलावा भोपाल स्टेशन का भी निरीक्षण कर एक नंबर बन रही बिल्डिंग व छह नंबर पर बनाए गए,नए एसी रूम का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं का जायजा लिया। स्टेशन पर साफ-सफाई को लेकर भी यात्रियों से फीड बैग लिया। जिसमें अधिकांश यात्रियों ने स्टेशन की सफाई को लेकर संतोष व्यक्त किया।

पैसेंजर ट्रेनें लेती है हाल्ट

भोपाल रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर निशातपुरा स्टेशन है, जो कई वर्षों से छोटा स्टेशन है। यहां रेलवे का गोदाम भी है। कोरोना संक्रमण के पहले तक स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेनें ठहराव लेकर चलती थी। यहां बीना-नई दिल्ली, चेन्न्ई और उज्जैन-इंदौर की तरफ जोन वाले रेल मार्ग मिलते हैं। छोटा स्टेशन होने के कारण यहां यात्री सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए इंदौर-उज्जैन और बीना-दिल्ली की तरफ जाने वाली ट्रेनों को भोपाल स्टेशन तक लाया जाता है। भोपाल में ठहराव लेने के बाद पुन: इन ट्रेनों को निशातपुरा की तरफ चलाया जाता है। इस तरह ट्रेनों के आपरेशन में समय लगता है। दूसरी ट्रेनें प्रभावित होती हैं, इसलिए निशातपुरा को विकसित किया जाकर बड़ा स्टेशन बनाया जा रहा है । रेलवे के इस कदम से जहां कुछ यात्रियों को असुविधा होगी, तो हजारों यात्रियों को फायदा भी होगा।

निशातपुरा को विकसित करना इसलिए जरूरी

- ऐसी सात ट्रेनें हैं जिन्हें भोपाल लाना पड़ता है। प्रत्येक के इंजन बदलने पड़ते हैं। इंजन बदलने की प्रक्रिया में 30 से 45 मिनट लगते हैं। तब तक इंजनों के मूवमेंट से भोपाल स्टेशन की लूप लाइन व मेन लाइन पर अतिरिक्त ट्रैफिक बढ़ जाता है। जिन ट्रेनों के इंजन बदले जाते हैं वे तो प्रभावित होती ही हैं, लेकिन उस दौरान जो ट्रेनें भोपाल से होकर चेन्नई-दिल्ली की तरफ गुजरती हैं, उन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस तरह हजारों यात्री प्रभावित होते हैं।

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