दतिया में पोषण गुरु चला रहे कुपोषण के खिलाफ अलग तरह का अभियान, सीएम शिवराज ने कहा-'मन की बात' से राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए नई प्रेरणा जागृत हो रही

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में मप्र के दतिया जिले की एक आदर्श आंगनवाड़ी का जिक्र करते हुए कहा कि कुपोषण दूर करने के इस अभियान की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम ही है। उन्होंने कहा कि देश में इस तरह के नवाचार से कुपोषण को दूर करने में मदद तो मिलेगी ही, साथ ही समाज में भी इसके प्रति जागरूकता भी आएगी। उन्होंने मंडला जिले के ग्राम पंचायत मोचा के अमृत सरोवर का भी जिक्र करते हुए कहा कि इस अमृत सरोवर से इस इलाके की सुंदरता को और बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री ने इंदौर के हर घर झंडा अभियान के बारे में कहा कि मानव श्रंखला से भारत का नक्शा निर्मित किया गया, जो आजादी के अमृत महोत्सव और इस माह हुए स्वतंत्रता दिवस पर संपूर्ण राष्ट्र में प्रवाहित अमृत धारा का प्रतीक है। इस अभियान से नागरिकों में राष्ट्र-प्रेम की भावना के विकास का काम किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' से देश और प्रदेशवासियों से राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों पर सकारात्मक चर्चा की है। वे हमारा मनोबल बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के उत्साहवर्धन से नागरिकों में गर्व की भावना का विकास हो रहा है। राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए नई प्रेरणा जागृत हो रही है, इसके लिए प्रधानमंत्री अभिनंदन के पात्र हैं।
दतिया में कुपोषण दूर करने में गीत-भजनों का इस्तेमाल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दतिया जिले में 'मेरा बच्चा अभियान' में इसका सफलतापूर्वक नवाचार किया गया। इसके तहत जिले में भजन-कीर्तन, गीत, संगीत के जरिए लोगों को जागरूक करने का संदेश दिया गया। इसमें पोषण गुरु कहलाने वाले शिक्षकों को बुलाया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि क्या कुपोषण दूर करने में गीत-संगीत और भजन का भी इस्तेमाल हो सकता है?
अमृत सराेवर से क्षेत्र की सुंदरता बढ़ीप्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मप्र के मंडला में मोचा ग्राम पंचायत में बने अमृत सरोवर के बारे में भी आपको बताना चाहता हूं। यह अमृत सरोवर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पास बना है और इससे इस इलाके की सुंदरता को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने देश के प्रत्येक जिले में अमृत सरोवर का निर्माण करने का संकल्प लिया था। यह कह सकते हैं कि जिलों में बने यह अमृत सरोवर आज सिंचाई, पेयजल से लेकर मछली पालन जैसे कार्यों से आय का जरिया बन गए हैं।
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