आवास: देरी होने से बढ़ी परेशानी, किराए के साथ भरनी पड़ रही बैंक किश्त

भोपाल। भोपाल नगर निगम के हाउसिंग फॉर आॅल प्रोजेक्ट्स में कंसलटेटर और ठेकेदार का गठजोड़ निगम अफसरों को भारी पड़ रहा है। ऐसे में बुकिंग कराने वालों आमजन का नुकसान हो रहा है। उनकी बैंक की किश्त भी शुरु हो गई है। लेकिन आवास कब तक मिलेगा यह पता नहीं है। काम के हालात यह है कि, 12 नंबर सहित शहर के अन्य स्थानों पर तीन सौ करोड़ के काम होने थे। लेकिन पिछले एक साल में यहां पर केवल 90 करोड़ रुपए के ही काम हुए है। इससे ही काम की रफ्तार और स्थिति के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। प्रोजेक्ट में धीमीगति से चलने पर केंद्र से मिलने वाली राशि भी बेहद कम आ रही है या फिर लैप्स हो रही है। ऐसे मेंं राजधानी में बनने वाले 51 हजार आवास बनाने का काम कैसे पूरा होगा यह सवालों में है।
तेजी से गुणवत्ता पर न पड़े असर: हाउसिंग फॉर आॅल के तहत बनाए जा रहे आवासों में तेजी लाने के लिए निगम प्रशासन द्वारा लगातार ठेकेदार और कंसलटेंट पर डाला जा रहा है। इससे काम में तेजी आने की उम्मीद तो है, लेकिन काम की क्वालिटी की मॉनिटरिंग करना निगम के लिए चुनौती होगा। जल्द काम पूरा करने के दवाब में प्रोजेक्ट्स की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है। आवासों की खराब क्वालिटी खरीदने वालों की भविष्य में और दिक्कतें बढ़ाएगी।
हर महीने 20 हजार दी जा रही किश्त: आपको बता दें कि, राजधानी में हाउसिंग फॉर आॅल के तहत माध्यमवर्गीय लोगों के लिए एफोर्डेबल हाउस के साथ एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी तक आवास बनाए जा रहें है। इनकी कीमत 22 लाख रुपए से 28 लाख रुपए तक की है। जिन लोगों ने इन आवासों की बुकिंग कराई है, 18 से 20 लाख रुपए का बैंक से लोन लिया है। इसके बदले में आमजन को हर महीने बीस हजार रुपए तक की किश्त भरनी पड़ रही है। यहीं से लोगों की दिक्कतें बढ़ रहीं है। दरअसल जितनी देर से आवास मिलेगा उतनी देर तक लोगों को किश्त के साथ साथ मकान का किराया भी भरना पड़ेगा।
हाउसिंग फॉर आॅल को लेकर जल्द ही जिम्मेदारों के साथ समीक्षा बैठक की जाएगी। आवासों में किसी प्रकार की कमी न हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी। वीएस चौधरी, निगम कमिश्नर
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